बिहार डेस्क। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मधुबनी जिले के दतुआर गांव के ऐतिहासिक छठ घाट पर धूमधाम से मनाया गया। गुरुवार की शाम भगवान सूर्य देव को गंगाजल से अर्घ्य दिया गया। वहीं, 8 नवंबर शुक्रवार की सुबह गाय के दूध से भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा। दतुआर पंचायत के महामाया स्थान छठ घाट पर बड़ी संख्या में व्रतियों की भीड़ देखने को मिली। इस दौरान लोगों ने खुशी में पटाखे भी बजाए और खूब सेल्फी ली।
समाजसेवी दिलीप कुंवर ने बताई छठ महापर्व की विशेषता
समाजसेवी दिलीप कुंवर ने बताया कि छठ महापर्व सनातन धर्म का सबसे बड़ा लोक पर्व है। यह यूपी-बिहार से चालू हुआ था। अब पूरे भारत सहित अन्य देशों में भी इसकी धूम देखने को मिल रही है। सनातन धर्म हमेशा से ही सूर्य का उपासक रहा है। सनातन धर्म में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं छठ में डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा का बिहार यूपी के लोगों में विशेष महत्व है। बाहर रहने वाले लोग इस पर्व पर अपने अपने घर लौटकर आते हैं।
ये है मान्यता
मान्यता के अनुसार, छठी माता संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस कारण संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए छठ पूजा का व्रत किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, बिहार में देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था और इस व्रत के प्रभाव से उनके जीवन के कष्ट दूर हो गए थे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी की शाम को डूबते सूर्य और अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत भी करती हैं।