Yogi Food Adulteration: उत्तर प्रदेश में खानपान की वस्तुओं को जान-बूझकर दूषित करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान लाया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसे मामलों में 10 साल की जेल और भारी जुर्माने की सजा का प्रस्ताव रखा है। सरकार ने इसके लिए दो नए कानूनों का मसौदा तैयार किया है, जो खानपान की शुद्धता की गारंटी देंगे और दुकानदारों तथा उनके कर्मचारियों की पहचान जानने का अधिकार ग्राहकों को प्रदान करेंगे।
दो नए कानूनों का मसौदा
योगी सरकार के प्रस्तावित कानूनों में पहला है **UP Prevention of Contamination (Consumer Right to Know) Ordinance**, जो उपभोक्ताओं को खानपान की वस्तुओं में इस्तेमाल की गई सामग्री की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देगा। दूसरा कानून **UP Prevention of Impersonation and Anti-Harmony Activities and Prohibition of Spitting Ordinance** है, जो दुकानदारों और उनके स्टाफ की पहचान जानने का अधिकार देगा और खाने-पीने की चीजों में थूक, पेशाब या मल मिलाने जैसी घृणित हरकतों पर रोक लगाएगा।
कड़ी सजा का प्रावधान
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन कानूनों के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा के साथ-साथ संबंधित दुकान का लाइसेंस रद्द करने और भारी जुर्माना लगाने का भी प्रावधान होगा। उत्तर प्रदेश इस तरह का सख्त कानून बनाने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों की सेहत की सुरक्षा और खाद्य सामग्री की शुद्धता सुनिश्चित करना है।
घटनाओं के बढ़ते मामले
हाल ही में सहारनपुर, गाजियाबाद और शामली जिलों में खानपान की वस्तुओं को दूषित करने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें जूस में पेशाब मिलाने और रोटियों पर थूकने के मामले भी शामिल हैं। कन्नौज में एक मसाज की दुकान पर थूक से मसाज करते हुए वीडियो वायरल होने पर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। इन घटनाओं ने योगी सरकार को सख्त कानून लाने के लिए प्रेरित किया है।
मुख्यमंत्री का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के उद्घाटन पर कहा कि अब यहां थूक लगी रोटी या दूषित जूस नहीं मिलेगा। उन्होंने मंगलवार को गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय, पुलिस, विधायी विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर इन दोनों कानूनों के अंतिम मसौदे पर विचार-विमर्श किया।
कानून कैसे बनेंगे?
इन कानूनों को बनाने की प्रक्रिया के तहत सबसे पहले कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। इसके बाद, सरकार इन्हें विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश कर दोनों सदनों से पास कराएगी। पास होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी से इन्हें लागू किया जाएगा।
एक दूसरा विकल्प यह भी है कि सरकार इन कानूनों को अध्यादेश के तौर पर लागू कर दे, जिसे राज्यपाल के हस्ताक्षर से मंजूरी मिलेगी। इसके बाद, अध्यादेश को छह महीने के भीतर विधानमंडल से पास कराना होगा।
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के समीकरण को देखते हुए, किसी भी प्रक्रिया में कोई अड़चन आने की संभावना नहीं है, और सरकार जल्द ही इन कानूनों को लागू कर सकती है।