Vegetable Prices: पिछले दिनों संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में केंद्र सरकार ने सब्जियों के बढ़ती हुई कीमतों की वजह बताई है। मोदी सरकार ने बताया है कि पिछले दो सालों में खराब मौसम, जलाशयों का गिरते स्तर और फसल नुकसान ने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है।
बता दें कि पूरे देश में बीते कुछ दिनों से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।
टमाटर, प्याज और आलू जैसी ज़रूरी सब्जियों की खुदरा कीमत पिछले एक महीने में 15 फीसदी से 58 फीसदी तक बढ़ गई हैं।
सब्जियों के बढ़ते दामों के पीछे मानसून के अलावा कई अहम कारण जिम्मेदार माने जा रहे है। हालांकि, केंद्र सरकार ने दावा किया है कि यह स्थिति अस्थाई है।
आने वाले दिनों में कीमतें जल्द ही नियंत्रण में आ जाएगी। लेकिन सब्जियों के दाम तेजी से क्यों बढ़ रहे है? इसके पीछे सरकार ने ये वजह बताई है।
पिछले दिनों संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में केंद्र सरकार ने सब्जियों के बढ़ती हुई कीमतों की वजह बताई है। सरकार ने बताया है कि पिछले दो वर्षों में खराब मौसम, जलाशयों का गिरते स्तर और फसल नुकसान ने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है।
इसी वजह से तेजी से खाद्य कीमतों के दाम बढ़ रहे है। खराब मौसम की स्थिति ने सब्जियों और दालों के उत्पादन की संभावनाओं को प्रभावित किया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि, देश में 2023-2024 में खराब मौसम की घटनाओं बहुत ज्यादा हुआ हैं। इससे फसलों को बहुत नुकसान हुआ है।
इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में घटने जलाशय के स्तर ने भी कृषि उत्पादन और खाद्य कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसलिए उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 22 में 3.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 6.6 प्रतिशत और वित्त वर्ष 24 में 7.5 प्रतिशत हो गई।
आर्थिक सर्वे में बताया गया कि, जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा क्षेत्र-विशिष्ट फसल पर रोग के कारण भी सब्जियों में सप्लाई में रुकावट आई है।
इसी वजह से टमाटर में कीमतों में उछाल आया है। जबकि प्याज की कीमतों में उछाल की वजह पिछले कटाई सीजन में बारिश, बुवाई में देरी, लंबे समय तक सूखा और दूसरे देशों द्वारा व्यापार से जुड़े कदम उठाना है।
पिछले दो सालों में प्रतिकूल मौसम की वजह से कम उत्पादन की वजह से दालों, खास तौर पर अरहर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। जबकि रबी सीजन में धीमी बुवाई और दक्षिणी राज्यों में जलवायु संबंधी गड़बड़ी की वजह से उड़द का उत्पादन प्रभावित हुआ है।