UP MLC ELECTION 2024: यूपी में एमएलसी चुनाव में BJP ने अगड़े और पिछड़ों पर ही दाँव लगाया है। इसमें से कोई दलित उम्मीदवार नहीं है।
भाजपा ने विधान परिषद की 7 सीटों के लिए शनिवार को प्रत्याशी घोषित कर दिए। वर्तमान सदस्य एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, मध्य प्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रभारी एवं परिषद सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह और लोकसभा चुनाव समन्वय के प्रभारी एवं परिषद सदस्य अशोक कटारिया को फिर से परिषद का टिकट दिया गया है।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विधान परिषद चुनाव में अगड़े और पिछड़ों पर दांव चला है। पार्टी ने दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार और दो पिछड़ों को मैदान में उतारा है। प्रत्याशियों में एक भी दलित और अल्पसंख्यक सदस्य नहीं हैं।
पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज को साधने के लिए पूर्व परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया और पार्टी ने अपने जाट बैंक पर कब्जा बनाए रखने के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल को टिकट दिया है।
वहीं पूर्वांचल में ब्राह्मण वोट बैंक को संदेश देने के लिए आजमगढ़ के विजय बहादुर पाठक को फिर मौका मिला है। पूर्वांचल और अवध में ठाकुर वोट बैंक में आधार बरकरार रखने के लिए डॉ. महेंद्र सिंह और संतोष सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है।
अवध से पूर्वांचल तक भूमिहार समाज को संतुष्ट रखने के लिए धर्मेंद्र सिंह को मौका दिया है। एनडीए के दस उम्मीदवारों के सामाजिक समीकरण में अगड़े समाज से दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक भूमिहार हैं। जबकि तीन पिछड़ों में दो जाट, एक गुर्जर और एक कुर्मी हैं।
5 मई को रिक्त होने वाली परिषद की जिन 13 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है उनमें भाजपा के विद्यासागर सोनकर और निर्मला पासवान, बसपा के डॉ. भीमराव आंबेडकर दलित सदस्य हैं। लेकिन भाजपा, रालोद और अपना दल के प्रत्याशियों में एक भी दलित प्रत्याशी नहीं हैं।
सपा के जो नाम चल रहे हैं, उनमें भी कोई दलित नहीं है। नतीजन विधान परिषद में तीन दलित सदस्य कम होने से उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। परिषद में 6 मई से भाजपा के मात्र दो लालजी निर्मल और सुरेंद्र चौधरी दलित सदस्य रह जाएंगे।
भाजपा ने हाल ही में राज्यसभा की दस सीटों के लिए हुए चुनाव में आठ सीटों पर विजय हासिल की है। भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्यों में भी एक भी सदस्य दलित समाज से नहीं है।
विधान परिषद की जिन 13 सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें भाजपा के मोहसिन रजा और बुक्कल नवाब दो अल्पसंख्यक सदस्य है। दोनों का टिकट कटने से परिषद में अल्पसंख्यक समुदाय का नेतृत्व भी कमजोर हुआ है।
परिषद में अब भाजपा से राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. तारिक मंसूर सदस्य हैं। जबकि सपा से शाहनवाज खान और मोहम्मद जासमीर अंसारी सदस्य हैं। सपा प्रत्याशियों पर निगाहें हैं।
बीजेपी के उतारे प्रत्याशियों में डॉ. महेंद्र सिंह योगी आदित्य नाथ सरकार 1.0 में जलशक्ति मंत्री रहे हैं। वर्तमान में मध्य प्रदेश के चुनाव प्रभारी हैं।
विजय बहादुर पाठक – भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी से लेकर प्रदेश महामंत्री तक रहे हैं। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के करीबी हैं।
अशोक कटारिया – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में छात्र राजनीति की शुरुआत की। भाजयुमो के के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पार्टी के प्रदेश महामंत्री तक रहे हैं। गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मोहित बेनीवाल – भाजपा के पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष रहे हैं। पश्चिम में जाट समाज के चेहरे माने जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के करीबी हैं।
संतोष सिंह – अभाविप के जरिए लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति की शुरुआत की। पार्टी में प्रदेश मंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर लंबा अनुभव है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के समान करीबी हैं।
धमेंद्र सिंह – पत्रकारिता से राजनीति में आए हैं। भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी हैं। वाराणसी और उसके आसपास के जिलों में भूमिहार समाज में पार्टी का उभरता हुआ चेहरा हैं।
राम तीरथ सिंघल – झांसी के पूर्व महापौर रहे हैं। बुंदेलखंड में वैश्य समाज को साधने के लिए मौका मिला है।
विधान परिषद की 13 सीटों पर हो रहे रहे चुनाव में एनडीए को 10 और सपा को 3 सीटें मिलेंगी। एनडीए ने एक सीट अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल के लिए दी है। एक सीट पर राष्ट्रीय लोक दल ने योगेश चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। एक सीट गठबंधन में सुभासपा को मिल सकती है।