Tejashwi Targets Nitish: इंजीनियर का पैर छूने वाले सीएम के बयान पर बिहार में राजनीति जारी है। लगातार दूसरे दिन राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि है कि ऐसा करके वे सीएम पद की तौहीन कर रहे हैं।
पटना के गायघाट से कंगन घाट तक गंगा पथ के लोकार्पण के दौरान इंजीनियर का पैर पकड़ने वाला नीतीश कुमार का बयान राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गया है। विपक्षी आरजेडी इसे लेकर बार-बार नीतीश कुमार पर हमलावर है नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने वायरल वीडियो के साथ ट्वीट कर नीतीश कुमार की खुलकर आलोचना की है।
तेजस्वी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अपनी नहीं बल्कि सीएम पद की गरिमा की तौहीन कर रहे हैं। बुधवार को भी तेजस्वी ने इस मुद्दे पर बिहार सीएम कुमार को घेरा था।
सियासी गलियारे में चर्चा है कि मुख्यमंत्री के साथ रहने वाले भी उनके इस एक्शन से हैरान हैं। बुधवार को जेपी गंगा पथ के एक हिस्से के लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट में देरी के लिए इंजीनियर पर गर्म हो गए और उसका पैर पकड़ने के लिए हाथ दोनों हाथ जोड़ते हुए आगे बढ़ गए।
अधिकारियों ने सीएम को मनाकर बीच में रोक लिया और इंजीनियर को पीछे हटा दिया। इसका वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है।
तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है कि अगर कोई अधिकारी और ठेकेदार ईमानदारी से अपने कार्यों का निर्वहन एवं निष्पादन नहीं करता है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए ना कि उनके सामने हाथ जोड़ पैरों में पड़कर गिड़गिड़ाना चाहिए। CM अपनी नहीं बल्कि पद की तौहीन कर रहे है।
तेजस्वी ने कहा कि अगर कोई अधिकारी व ठेकेदार ईमानदारी से अपने कार्यों का निर्वहन एवं निष्पादन नहीं करता है तो उस पर नियमानुसार कारवाई होनी चाहिए ना की उनके सामने हाथ जोड़ पैरों में पड़ गिड़गिड़ाना चाहिए। CM अपनी नहीं बल्कि पद की तौहीन कर रहे है।
इससे पहले बुधवार को भी नेता प्रतिपक्ष ने इस घटना के ठीक बाद सीएम पर निशाना साधा था। उन्होंने तत्काल ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। यादव ने कहा था कि पूरे विश्व में इतना असहाय,अशक्त,अमान्य,अक्षम, विवश, बेबस, लाचार और मज़बूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा जो BDO, SDO, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो?
बिहार में बढ़ते अपराध, बेलगाम भ्रष्टाचार, पलायन एवं प्रशासनिक अराजकता का मुख्य कारण यह है कि एक कर्मचारी तक (अधिकारी तो छोड़िए) मुख्यमंत्री की नहीं सुनता? क्यों नहीं सुनता और क्यों नहीं आदेशों का पालन करता, यह विचारणीय विषय है? हालाँकि इसमें कर्मचारी व अधिकारियों का अधिक दोष भी नहीं है। एक कमजोर बेबस मुख्यमंत्री के कारण “बिहार में होना वही है जो “चंद” सेवारत और “सेवानिवृत्त” अधिकारियों ने ठाना है” क्योंकि अधिकारी भी जानते है कि ये 43 सीट वाली तीसरे नंबर की पार्टी के मुख्यमंत्री है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि जब शासन में इक़बाल खत्म हो जाए हो और शासक में आत्मविश्वास ना रहे तब उसे सिद्धांत, जमीर और विचार किनारे रख ऊपर से लेकर नीचे तक बात-बात पर ऐसे ही पैर पड़ना पड़ता है। बहरहाल हमें कुर्सी की नहीं, बल्कि बिहार और 14 करोड़ बिहारवासियों के वर्तमान और भविष्य की चिंता है।