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Sickle Cell Hospital: मानसिक बीमारी सिकलसेल पीड़ितों का छत्तीसगढ़ में अब होगा मुफ्त इलाज़

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  • 48 करोड़ के बजट से बनेगा हॉस्पिटल, मिलेगी कई सुविधाएं

  • हर जिले में सिकलसेल की स्क्रीनिंग की सुविधा भी होगी शुरू

  • कुछ जातियों समेत 10 फीसदी आबादी सिकलसेल से ग्रसित 

Sickle Cell Hospital In Raipur: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने में 48 करोड़ रुपए खर्च होंगे। स्वास्थ्य विभाग हर जिले में सिकलसेल की स्क्रीनिंग की सुविधा भी शुरू करने जा रहा है, ताकि जिला स्तर पर ही मरीजों की पहचान की जा सके।

Sickle Cell Institute Center of Excellence : पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पास सिकलसेल संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। इसके बाद यहां मरीजों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाएगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने में 48 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 

स्वास्थ्य विभाग हर जिले में सिकलसेल की स्क्रीनिंग की सुविधा भी शुरू करने जा रहा है, ताकि जिला स्तर पर ही मरीजों की पहचान की जा सके। संस्थान में सीनियर व जूनियर डॉक्टर रिसर्च करेंगे। प्रदेश की 10 फीसदी आबादी सिकलसेल से ग्रसित हैं। इसमें कुछ जाति विशेष के लोग शामिल हैं।

Sickle Cell Hospital In Raipur : सिकलसेल पीड़ित मरीज असहनीय पीड़ा से गुजरते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि उनकी सही समय पर स्क्रीनिंग हो, बीमारी की पहचान हो, ताकि तत्काल इलाज शुरू हो सके। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की स्क्रीनिंग कर रहा है। 

Sickle Cell Hospital संस्थान की महानिदेशक डॉ. ऊषा जाेशी और सिकलेसल व ब्लड संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल का कहना है कि कई माता-पिता को पता होता है कि उनके बच्चों को सिकलसेल है, लेकिन शादी टल न जाए, इसलिए चुप रहते हैं। जागरूकता में कमी के चलते यह बीमारी बढ़ रही है।

उधर जेल रोड स्थित पुराने सिकलसेल संस्थान की इमारत को तोड़कर नई 5 बिल्डिंग बनाई जाएगी। इसका प्रस्ताव जून 2021 में बनाकर शासन को भेजा जा चुका है।

Sickle Cell Hospital In Raipur : शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन सिकलसेल के मरीज न हों, न ही वाहक हो। इसके लिए पंडितों को भी पहल करनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि कुंडली के साथ-साथ सिकलसेल कुंडली का भी मिलान करना चाहिए। इससे इस गंभीर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।

सिकलसेल संस्थान में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के अलावा स्टेम सेल थैरेपी और हीमोग्लोबिनोपैथी की सुविधा मौजूद है। इससे बोन मेरो ट्रांसप्लांट करने में भी मदद मिलेगी।

इसके तहत 5 बिल्डिंग में ये व्यवस्था होगी। पहली बिल्डिंग में ओपीडी होगा व अन्य चैंबर होंगे। पैथोलॉजी लैब को-आर्डिनेटर रूम, डॉक्टर चेम्बर, मेडिसिन स्टोर, बैक साइड लॉबी, दूसरे बिल्डिंग में रिसर्च सेंटर होगा। 

तीसरे फ्लोर में कांफ्रेस रूम, ऑडिटोरियम, वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम, चौथे फ्लोर में रिहेबिलेशन सेंटर और पांचवे में टीचिंग ब्लॉक होगा। इसके साथ ही संस्थान के पीछे के हिस्से में 2 और बिल्डिंग बनाने की योजना है। इसमें स्टाफ क्वार्टर होंगे। इसमें 30 बेड की आईपीडी और ट्रेनिंग की सुविधा भी रहेगी।

छत्तीसगढ़ में  सिकलसेल मरीज़ एक नज़र में

  • छत्तीसगढ़ में सिकलसेल के मरीज़ों की संख्या 25 लाख के आसपास है। 
  • Sickle Cell Institute Center of Excellence संस्थान में इलाज पूरी तरह फ्री होगा।
  • सेंट्रल इंडिया का ये पहला संस्थान, देशभर में केवल 4 ही संस्थान हैं।
  • बोन मैरो ट्रांसप्लांट 5 लाख से कम कीमत पर होगा, निजी तौर पर 8 से 16 लाख लगेंगे।
  • अभी मरीजों का इलाज संस्थान में हो रहा है, लेकिन रिसर्च नहीं होने से प्रारंभिक इलाज ही। संस्थान के बनने के बाद रिसर्च होगा व मरीजों की स्टडी की जा सकेगी।
  • स्टेमसेल थैरेपी से कैंसर के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। स्टेमसेल से मलहम बनाया जा रहा है, जिसका उपयोग इलाज के लिए किया जा रहा है।
  • सेंटर में सिकलसेल के स्टेज से लेकर लोगों में बीमारी का क्या ट्रेंड है, इस पर रिसर्च किया जा सकेगा। 
  • रिसर्च होने से प्रदेश में सिकलसेल को बढ़ने से रोका जा सकेगा। लोगों में जागरूकता फैलाकर शादी के पहले कुंडली जांच पर जोर रहेगा।
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