Shravani Mela: 22 जुलाई से श्रावणी मेले की शुरुआत हो रही है। पहली सोमवारी पर बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करने के लिए शुक्रवार शाम कांवरियों का पहला जत्था पहलेजा घाट से गंगाजल लेकर रवाना हो गया।
बता दें कि पवित्र श्रावणी मेला शुरू 22 जुलाई से हो रहा है। सावन की पहली सोमवारी पर बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करने के लिए कांवरियों का पहला जत्था पहलेजा घाट से गंगाजल लेकर रवाना हो गया।
शनिवार शाम तक कांवरियों का जत्था वैशाली सीमा के विभिन्न क्षेत्रों में ही रहेगा। इस दिन की रात से कांवरिए मुजफ्परपुर की सीमा में प्रवेश करने लगेंगे।
पहलेजा जाने से पूर्व सुबह में कांवरियों का जत्था गेरुआ वस्त्र धारण कर कंधे पर कांवर और हाथों में कलश लेकर बाबा गरीबनाथ मंदिर पहुंचे। यहां पूजा करने के बाद मंदिर के पुजारी ने कांवरियों को चंदन टीका लगाकर रवाना किया।
वहीं दूसरी ओर श्रावणी मेला में इस बार सीसीटीवी के साथ-साथ ड्रोन कैमरे से भी भीड़ की निगरानी होगी। सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन का सर्वर एआई तकनीक से जोड़ा जाएगा, ताकि भीड़ नियंत्रण के लिए उपाय तुरंत किये जा सके। पहली बार गंगा स्नान के समय घाट पर लॉकर की भी सुविधा दी जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि 22 जुलाई से शुरू हो रहे श्रावणी मेला में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट रहेगा।
इस दौरान सैकड़ों शिविरों में आपातकाल से लेकर सामान्य अवस्था वाली चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध रहेगी। इसी क्रम में पांच साल तक के बच्चों को विशेष अभियान के तहत पोलियो खुराक पिलायी जाएगी।
मंत्री ने कहा कि श्रावणी मेला के दौरान हजारों श्रद्धालु भारत के विभिन्न राज्यों एवं पड़ोसी देश नेपाल से देवघर जाने के लिए भागलपुर, मुंगेर और बांका जिला से गुजरेंगे।
इस मौके पर उनके साथ छोटे बच्चे भी होंगे। ऐसी स्थिति में इन तीन जिलों में 22 जुलाई से 19 अगस्त तक पल्स पोलियो का विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ ही 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया है। जबकि वर्ष 2024 में पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पांच-पाच पोलियों के मरीज पाए गए हैं। ऐसी स्थिति में राज्य में पोलियो के संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
कांवर यात्रा के दौरान कांवरियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका ध्यान रखते हुए सरकार ने हर स्तर की व्यवस्था की है।
श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के डेढ़ दर्जन अधिकारियों की तैनाती की गई है। इन सभी अधिकारियों को भागलपुर व बांका समाहरणालय में प्रतिनियुक्ति किया है।