SHIVANI SHAKTI PEETH: शिवानी शक्तिपीठ, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश
SHIVANI SHAKTI PEETH: 52 शक्तिपीठों में एक ऐसी शक्तिपीठ चित्रकूट के रामगिरी स्थान पर शिवानी शक्तिपीठ हैं. माता के दरबार में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है. नवरात्रि पर मां के दर्शन के लिए अनगिनत भक्त आते हैं, ऐसा माना जाता है कि माता शिवानी का दाहिना स्तन यहीं पर गिरा था और माता में इतनी शक्ति है।
माता में है अपार शक्ति
मंदिर के पुजारी सुरेश प्रसाद उपध्याय उर्फ नांगा बाबा के मुताबित माता जनक की दुलारी है. माता में अपार शक्ति है 52 शक्तिपीठों में माता शिवानी शक्तिपीठ एक है। माता का नाम शिवानी है लेकिन यहां के लोग माता शिवानी को फूलमती माता के नाम से पुकारते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में लाखो की तादाद में श्रद्धालू यहां सुबह शाम आते हैं और माता की पूजा अरचना कर मन्नत मांगते है।
चित्रकूट: चैत्र नवरात्र संवत 2080 की शुरुआत 22 मार्च 2023 को हो चुकी है। नौ दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि त्यौहार को लेकर श्रद्धालु माता की 9 दिन में अलग-अलग रूपों में माता की पूजा करते हैं। 52 शक्तिपीठों में एक ऐसी शक्तिपीठ चित्रकूट के रामगिरी स्थान पर शिवानी शक्तिपीठ हैं। माता के दरबार में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। नवरात्रि पर मां के दर्शन के लिए अनगिनत भक्त आते हैं।
ऐसा माना जाता है की माता शिवानी का दाहिना स्तन यहीं पर गिरा था और माता में इतनी शक्ति है कि श्रद्धालुओं की जो भी विपदा होती है. मां सभी विपदाएं को दूर करती हैं। कुछ लोग मैहर की माता शारदा को शक्तिपीठ मानते हैं तो कुछ लोग चित्रकूट के रामगिरी स्थान पर स्थित माता शिवानी को शक्तिपीठ मानते है। माता शिवानी को चित्रकूट के आसपास के लोगों माता फूलमती के नाम से पुकारते हैं।
वरदान मांगकर देखें…
नांगा बाबा ने आगे कहा, माता की शक्ति की बात की जाए तो मैं अपने मुख से किसी प्रकार का बखान नहीं करूंगा। किसी भी भक्तों को माता के शक्ति को एहसास करना है तो कभी माता से वरदान मांग कर देखें उसकी मन्नत कभी भी अधूरी यह माता शिवानी नहीं रखती हैं। यहां पर कई ऐसे प्रत्यक्ष रूप देखने को मिले हैं। जिनको शायद जीवन दूसरा माता ने दिया है। इसीलिए यह माता का मुख से बखान करना मेरा सही नही है, जिसको वास्तविकता देखना है तो माता के दरबार में जरूर आए।
यहां पूर्ण होती है भक्तों की सभी मनोकामना
महिला भक्त रवि माला जी ने बताया कि माता शिवानी की बात यदि अपने मुख से मैं करती हूं तो शायद वह कम है। मैं जो काम माता के दरबार में लेकर आई वो सभी कार्य पूरे हुए हैं। माता के दरबार में जो भी सच्चे मन से अपनी मुराद लेकर आता है माता शिवानी उसकी सभी मुराद पूरी करती हैं। नवरात्रि में हम लोग प्रतिदिन माता की आरती में शामिल होते हैं, साथ ही माता का सिंगार भी किया जाता है और माता यहां की देवी हैं और हम लोग माता के सहारे ही रहते हैं, माता हमारी 52 शक्तिपीठों में हमारी माता एक जानी जाती है।
इतिहास-
शक्तिपीठ चित्रकूट का निर्माण हुआ है क्योंकि माता सती का दाहिना स्तन इस स्थान पर गिरा था और वास्तव में यह पवित्र है। अन्य मतों के लोगो के अनुसार, देवी का नाला इसी स्थान पर गिरा था। नाला को हड्डी के रूप में जाना जाता है जो किसी व्यक्ति के पेट में होती है।
चित्रकूट मंदिर एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम सीता देवी और लक्ष्मण ने अपने चौदह साल के वनवास के दौरान इन जंगलों में अपना डेढ़ साल बिताया था। कई ऋषि, द्रष्टा जैसे अत्रि, सती अनसुइया. दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सरभगा, सुतीक्षण ने यहाँ ध्यान किया है। भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर ने भी यहां अवतार लिया था।
यह भी कहा जाता है कि जब भगवान राम ने अपने पिता का श्राद्ध कर्म किया था, तो सभी देवा-देवता चित्रकूट में शुद्धि (यानि परिवार में मृत्यु के तेरहवें दिन सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को दी जाने वाली दावत) का हिस्सा बनकर आए थे। चित्रकूट का पहला ज्ञात उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है। महाकवि कालीदास ने भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति के कारण चित्रकूट को रामगिरी के रूप में वर्णित किया। कहा जाता है कि हिंदी के संत-कवि तुलसीदास ने चित्रकूट में भगवान राम के दर्शन किए थे।