-
विज्ञान भवन में बीबीएसएसएल का लोगो जारी
-
सहकारिता मंत्री ने बीज उत्पादन के लक्ष्य तय किए
-
भारत के परंपरागत बीजों को बढ़ावा देने की बात कही
-
मिलेट्स के बीज में भारत की मोनोपोली की चर्चा की
-
बीज उत्पादन में भारत का हिस्सा अभी एक फीसदी से कम
-
बीज उत्पादन में छोटे किसानों को शामिल करने पर जोर
Seed Production: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित बीजों को बढ़ाने की दिशा में बड़ा ऐलान किया है. नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगले कुछ सालों में भारत की परपंरागत बीजों के निर्यात में बड़ी वृद्धि होगी. हम मिलेट्स के बीज भी दुनिया को उपलब्ध कराएंगे, क्योंकि मिलेट्स के बीजों की मांग पूरी दुनिया में है, जिसे भारत ही पूरा कर सकता है.
केंद्रीय मंत्री भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड की औपचारिक शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. वो मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुये, जिसका आयोजन विज्ञान भवन में किया गया. इसमें कृषि और सहकारिता से जुड़े अधिकारियों के साथ देश के विभिन्न सहकारी समितियों से जुड़े नेताओं के साथ प्रतिनिधि भी शामिल हुये.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश के अन्न उत्पादन में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. कई बार कोई शुरुआत होती है, तो हम कल्पना नहीं कर सकते. वो कहां जाकर रुकेगी. हम उदाहरण देना चाहेंगे, गुजरात के आणंद कस्बे में त्रिभुवन दास पटेल ने 51 किसानों के साथ एक दुग्ध डेयरी की की शुरुआत की थी. आज वो अमूल के रूप में विराट रूप ले चुका है. वो साठ हजार करोड़ का हो चुका है.
जैसे एक छोटा सा बाजरे का बीज किसान खेत में बोता है, तो देखने में वो छोटा होता है, जब फसल कटती है और खेत से हजारों किलो बाजरा निकलता है, तो तमाम लोगों का पेट पलता है.
आज एक छोटी सी शुरुआत हो रही है, जो आनेवाले दिनों में देश में बीज संरक्षण, संवर्द्धन और विकास में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा. भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड की शुरुआत हो रही है, ये बहुत सुखद पल है. देश के किसानों को वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया बीज अभी उपलब्ध नहीं है. किसान को बीज नहीं मिल रहा है, इससे देश का नुकसान तो है ही, किसानों को बड़ी क्षति हो रही है, क्योंकि इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है. हमारी जिम्मेदारी है, कश्मीर से कन्याकुमारी और द्वारिका से कामाख्या तक फैले देश में हर किसान के पास प्रमाणिक बीज पहुंचे.
भारतीय बीज सहकारी समिति की ओर से बीज को लेकर तमाम काम किये जाएंगे. भारत कृषि के क्षेत्र में दुनिया के सबसे पुराने देशों में शामिल है, जहां सबसे पहले कृषि की अधिकृत शुरुआत हुई. इसके कारण हमारे परंपरागत बीज संरक्षित रहे. इसकी वजह से हमें पोषण मिलता रहा है. इसकी जरूरत है कि भारत के परंपरागत बीजों का संरक्षण किया जाए, जिससे स्वास्थ्य के अनुकूल अन्न और फल-फूलों का उत्पादन हो सके.
हमारे यहां जो बीज उत्पादित होते हैं. वो विदेश के पैटर्न पर आरएंडी करके बनाए हुये बीज है. हमें पूरा विश्वास है कि अगर मौका मिलेगा, तो विश्व का सर्वोत्तम बीज हमारे वैज्ञानिक बना सकेंगे. आरएनडी का काम भी यही समिति करेगी. विश्व में बीज के निर्यात का बड़ा मार्केट है, जिसमें हमारा हिस्सा एक फीसदी से भी कम है. हमें लक्ष्य रखना चाहिये कि हमारा ये मजबूत हिस्सा बीज निर्यात में हो. इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाना होगा.
भारतीय बीज सहकारी समिति की शुरुआत भले ही छोटी है, लेकिन कुछ समय में ही ये देश ही नहीं दुनिया में अपना बड़ा नाम बनायेगी. 11 जनवरी 2023 को इसकी स्थापना की शुरुआत हुई. 25 मार्च को पंजीकरण हुआ. 21 मार्च को अधिसूचना जारी हुई. आज इसकी कार्यशाला हो रही है. इससे बहुत सी संस्थाएं जुड़ी हैं. हम इसके जरिये पैक्सों को जोड़ने का काम करेंगे. पैक्स के जरिये हर किसान अपने खेतों में बीज का उत्पादन कर सकेगा.
भारत ब्रांड से समिति की ओर से पूरी विश्व में मार्केटिंग का प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगी. आज कई कंपनियां किसानों को बीज उत्पादन के लिए जमीन देती हैं, लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता, लेकिन समिति के सहयोग से एक-एक पैसा किसान के खाते में जाएगा. हर चीज का संयोजन करेंगे. किसी तरह की कोई समझौता नहीं किया जाएगा. हम लोगों का स्वास्थ्य अच्छा हो, इस तरह के बीज के निर्माण का लक्ष्य इस समिति का है.
हम दुनिया में बीज के क्षेत्र में जो बेहतर हो रहा है. उसको मैच करना चाहते हैं. अपने देश में बीजों की जरूरत 465 लाख क्विंटल है. इसमें 165 लाख क्विंटल ही सरकारी स्तर पर उत्पादित होता है. हम निजी कंपनियों का हिस्सा नहीं छीनना चाहते हैं. इसमें बहुत बड़ा स्पेस पड़ा है. इसमें जो स्पेस खाली है, उसे कोआपरेटिव को हासिल कर लेना चाहिये.
अगले पांच साल में भारत बीज सहकारी समिति बहुत आगे जाएगी, हम इसका लक्ष्य तय करनेवाले हैं. हम पंरपरागत बीजों को संग्रहीत करके उसे बजार को उपलब्ध कराएंगे. इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालय के साथ कृषि विज्ञान केंद्र मिल कर काम करेंगे. हमारी किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. हमारा एक ही लक्ष्य है कि बीज उत्पादन में हम खूब आगे बढ़ें.
संस्था की शुरुआत में इफ्को, कृभको, नेपेड, एनडीडीबी और एनसीडीसी को हित धारक हैं. इनका पैसा भी लगा हुआ है. इन संस्थाओं की पहुंच किसान के खेत तक है, जिसका सीधे तौर पर फायदा मिलेगा. इन सभी संस्थाओं का रोडमैप एक ही होगा. इसके साथ राज्य, जिला और पैक्स भी मिल कर काम कर सकेंगे. हर तरह की कोआपरेटिव इसके साथ मिल कर काम कर सकते हैं.
बीजों का सिर्फ प्रोडक्शन नहीं करना है. उनकी टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन, ब्रांडिंग और स्टोरेज से लेकर मार्केटिंग तक करना होगा, तब जाकर सही दाम मिलेगा. हम अब तक दो बैठक कर चुके हैं. ये व्यवस्था विश्वस्तरीय होगी. ये हम विश्वास दिलाते हैं. अभी तक हमारी संस्थाओं ने ये करके दिखाया है. हम सब संस्थाओं के विशेषता का लाभ उठायेंगे. इससे आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा. बीज निर्माण में हम केवल आत्मनिर्भर नहीं होंगे, जबकि विश्व के बाजार में अपना बड़ा स्थान बनाएंगे. इसका सबसे बड़ा फायदा छोटे किसानों को मिलेगा.
परंपरागत खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं होता है, लेकिन अगर एक खेत है, तो उसमें अगर कुछ कोई उगाया जाएगा, तो उससे ज्यादा फायदा होगा. हम देश में क्राप पैटर्न बदलना चाहते हैं. इससे हम देश के छोटे किसानों को जोड़ेंगे, तो वो हमारे ग्रामीण स्तर पर ब्रांडिंग मैनेजर हो जाएंगे. हमें ये मालूम है कि हमारे ब्रांड की विश्वसनीयता गांव से खड़ी होनेवाली है.
हमारा बड़ा उद्देश्य पारंपरिक बीजों का संरक्षण करना है. हमारे यहां हजारों तरह के बीज हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई एथेंटिक डेटा नहीं बन पाया है. इस काम हुआ है, लेकिन इसका डेटा बैंक बनाना बड़ा काम है. भले ही उत्पादन कम हो, लेकिन हमारे परंपरागत बीजों की मांग बहुत बढ़नेवाली है. टेस्ट और स्वास्थ्य में हमारे भारतीय बीजों का कोई मुकाबला ही नहीं है. सिर्फ उत्पादन ही मायने नहीं रखता है. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो स्वास्थ्य और टेस्ट की चिंता रखते हैं. इसका बहुत बड़ा मार्केट है. पूरे मार्केट को हम एक्सप्लोर करेंगे.
मिलेट्स का जो मार्केट विश्व में खड़ा हुआ है. इसके बीज भारत के अलावा बहुत कम देशों के पास है. आज पूरी दुनिया मिलेट्स के बीज चाहती है. उनको बाजरा और ज्वार के अच्छे बीज चाहिये, तो भारत से ही मिलेंगे. इसके बीज में हमारी मोनोप़ॉली हो सकती है. मक्के का बीज सिर्फ अमेरिका दे सकता है. बाकी मिलेट्स के बीज तो भारत के पास हैं. इस पर कोआपरेटिव संस्थाएं काम करेंगी, तो बहुत बेहतर परिणाम होंगे. हमें अपने अनौपचारिक बीज प्रणाली को वैज्ञानिक बनाने का समय आ गया है. इसके लिए बहुत बड़ा प्लेटफार्म हमारी बीज समिति करेगी. इस मौके पर सहकारिता राज्य मंत्री के साथ कृषि और सहकारिता विभाग से जुड़े अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.
कार्यक्रम की शुरुआत बीबीएसएसएल के अध्यक्ष योगेंद्र कुमार के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने बीज उत्पादन के क्षेत्र में केंद्र सरकार के विजन की तारीफ की और पीएम नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करने की बात कही. साथ ही उन्होंने सहकारिता मंत्री अमित शाह के विजन की सराहना की. कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सहकारिता मंत्री बीबीएसएसएल के वेबसाइट, लोगो और ब्रोशर का लोकार्पण किया. कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन बीबीएसएसएल के एमडी जेपी सिंह ने किया.