SAARC: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधा है। उन्होंने शनिवार को कहा कि दक्षेस शिखर सम्मेलन पिछले कुछ वर्षों से इसलिए नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि इस समूह का एक सदस्य देश सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
पाकिस्तान पर कड़ा संदेश
जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा कि आतंकवाद अस्वीकार्य है और वैश्विक दृष्टिकोण के बावजूद यदि हमारा कोई पड़ोसी आतंकवाद को बढ़ावा देता रहता है, तो उसे रोका जाना चाहिए। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की यात्रा पर जाने वाले हैं।
दक्षेस शिखर सम्मेलन ठप
जयशंकर ने बताया कि 2016 के बाद से दक्षेस प्रभावी नहीं रहा है। दक्षेस देशों की आखिरी बैठक 2014 में काठमांडू में हुई थी और तब से इसका कोई द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि एक सदस्य देश द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण दक्षेस की कोई बैठक नहीं हो पाई है। जब एक सदस्य अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है, तो यह सभी देशों के लिए चुनौती बन जाता है।
आतंकवाद अस्वीकार्य
जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद एक ऐसी चीज है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता और जब तक यह जारी रहेगा, दक्षेस जैसी बैठकों में प्रगति संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि दक्षेस की बैठकें नहीं हो रही हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि क्षेत्रीय सहयोग बंद हो गया है।
भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति की अहमियत
जयशंकर ने यह भी बताया कि पिछले पांच-छह वर्षों में भारतीय उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया तेज हुई है। बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, और श्रीलंका में सड़कों का निर्माण और जल परिवहन में वृद्धि हो रही है, जो भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का परिणाम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह प्रगति क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका दर्शाती है।
दक्षेस (SAARC) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।