Ramnath Thakur: जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने पर बेटे और जदयू सांसद रामनाथ ठाकुर के आँसू छलक आए। उन्होंने कहाकि 35 साल बाद ये पल आया।
Ramnath Thakur: रामनाथ ठाकुर ने कहाकि 36 वर्षों से इस बात का इंतजार हो रहा था। ऐसा इंतजार जो खत्म होता नहीं दिख रहा था। मगर बाबूजी की जन्मशती के एक दिन पहले शाम पांच बजे जब मुझे किसी विश्वस्त सूत्र ने ‘भारत रत्न’ दिए जाने की खबर दी तो यकीन करने का मन होते हुए भी धकधक लगा था। हर तरह से पता करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन पक्का नहीं हो पा रहा था।
पक्का होना इतना आसान नहीं था, क्योंकि पहले कई बार बात आकर खत्म हो जाती थी। करीब पौने तीन घंटे मन में आपाधापी रही। फिर जब मीडिया से जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यह घोषणा की है तो फिर क्या कहूं…”- खुशी से गला रूंध आया रामनाथ ठाकुर का।
Ramnath Thakur: जननायक कर्पूरी ठाकुर के बेटे के साथ खुद एक मुकाम हासिल कर चुके राजनेता है रामनाथ ठाकुर। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के राज्यसभा सांसद भी हैं। लेकिन, बात पिता की आई और देश के सर्वोच्च सम्मान की तो खुशी का अंदाजा उनके शब्दों से मिल गया। हर लाइन खुशी में ही बोल रहे थे।
वह कहते हैं- “36 साल का इंतजार बहुत होता है। लेकिन, हरेक का समय आता है। देर आए, लेकिन दुरुस्त आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबूजी की 100वीं जयंती की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा कर हमें आह्लादित कर दिया है। मैं सिर्फ अपनी ओर से धन्यवाद नहीं कहना चाहता हूं।
मैं बिहार की तमाम जनता की ओर से भारत सरकार का आभार जताना चाहता हूं। देशभर के समाजवादियों की ओर से इसके लिए धन्यवाद देता हूं। इस सम्मान के जरिए समाजवाद को प्रतिष्ठित किया गया है। हर बिहारी इसके लिए भारत सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता है कि उसके जननायक को भारत सरकार के अंतत: इज्जत बख्शी, यथोचित सम्मान दिया।”
Ramnath Thakur: रामनाथ कहते हैं- “जननायक कर्पूरी ठाकुर के बेटे के रूप में मैं आज यही कह सकता हूं कि ‘जब जागे, तभी सवेरा’ जैसा महसूस कर रहा हूं। वह जिन मूल्यों को जीते हुए इस दुनिया से चले गए, हमने उनसे हटने का प्रयास नहीं किया। जो मिला, उनकी ख्याति से मिला। उनके नाम को किसी पहचान की जरूरत न थी और न है, लेकिन इस सम्मान की प्रतीक्षा 36 वर्षों से थी। इसलिए, यह एक सवेरा है।”