Rahul Gandhi On Bulldozer: बुलडोजर कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपील की है। इसके साथ ही ये कहा है कि देश संविधान से चलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपराधियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे ‘बुलडोजर न्याय’ करार दिया है। कोर्ट ने सुनिश्चित किया है कि वह इस पर दिशा-निर्देश जारी करेगा।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट से जल्द दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते बुलडोजर एक्शन कल्चर पर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि वो इसे लेकर दिशा निर्देश जारी करेगी। कोर्ट के इस फैसले का कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्वागत किया है। साथ ही सरकार पर निशाना साधा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपराधियों के घरों या संपत्तियों पर बढ़ते बुलडोजर एक्शन की प्रवृत्ति की आलोचना की है। अदालत ने इसे ‘बुलडोजर न्याय’ का मामला बताया। सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा।
सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी को लेकर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ये देश संविधान से चलेगा, सत्ता की चाबुक से नहीं। राहुल गांधी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की है।
राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘बीजेपी की असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण ‘बुलडोजर नीति’ पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी स्वागत योग्य है।
बुलडोजर के नीचे मानवता और इंसाफ को कुचलने वाली भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा अब देश के सामने बेनकाब हो चुका है।
बेलगाम सत्ता का प्रतीक बन चुके बुलडोज़र ने नागरिक अधिकारों को कुचल कर कानून को निरंतर अहंकार भरी चुनौती दी है।
‘त्वरित न्याय’ की आड़ में ‘भय का राज’ स्थापित करने की मंशा से चलाए जा रहे बुलडोज़र के पहियों के नीचे अक्सर बहुजनों और गरीबों की ही घर-गृहस्थी आती है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम अपेक्षा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस अति संवेदनशील विषय पर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर भाजपा सरकारों के इस लोकतंत्र विरोधी अभियान से नागरिकों की रक्षा करेगा। देश बाबा साहब के संविधान से चलेगा, सत्ता की चाबुक से नहीं।’
गौरतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कल्चर पर दिशा निर्देश जारी करने की बात कही। अदालत ने उत्तर प्रदेश द्वारा अपनाई गई स्थिति को भी स्वीकार किया और उसकी सराहना की, जिसमें कहा गया था कि विध्वंस केवल तभी किया जा सकता है जब संरचना अवैध मानी जाती है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम पूरे भारत के लिए इस मामले को लेकर कुछ दिशा-निर्देश बनाने का प्रस्ताव करते हैं ताकि इसको लेकर जताई गई चिंताओं का ध्यान रखा जा सके। हम उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा उठाए गए रुख की सराहना करते हैं।
इसको लेकर सभी पक्षों के वकील सुझाव दे सकते हैं ताकि अदालत इसको लेकर एक दिशा-निर्देश तैयार कर सके जो भारत में हर जगह लागू हो पाए।
अदालत कथित तौर पर बिना किसी नोटिस के और “बदले की कार्रवाई” के रूप में की गई तोड़फोड़ के संबंध में दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। ये दोनों याचिकाएं राजस्थान के राशिद खान और मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन द्वारा अदालत के सामने दायर की गई थी।
उदयपुर के 60 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक खान ने दावा किया कि 17 अगस्त, 2024 को उदयपुर जिला प्रशासन ने उनके घर को ध्वस्त कर दिया था। यह उदयपुर में हुए सांप्रदायिक हिंसा के बाद हुई कार्रवाई है, जिसके दौरान कई वाहनों को आग लगा दी गई और बाजार बंद कर दिए गए।