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अब तक राहुल ने किए पांच वादे
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दस लाख तक के इलाज का किया वादा
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किसानों को 10 हजार का भत्ता मिलेगा
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धान के दाम तीन हजार करने का भरोसा
Rahul Gandhi CG Election: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दो दिन में छत्तीसगढ़ में चार चुनावी सभाएं की और नवा रायपुर इलाके के खेत में जाकर धान काटा. किसानों से बात की. तीन बड़े वादे पहले दिन की चुनावी रैली में किये, जबकि दूसरे दिन की चुनावी रैली में दो बड़े वादे राहुल गांधी ने किया. इनका जो क्रम रहा, वो किसी लिखी हुई स्क्रिप्ट की तरह था.
पहले दिन जो तीन बड़े वादे राहुल गांधी की ओर से किये गये. उनमें केजी से पीजी तक की पढ़ाई फ्री करने की बात सबसे प्रमुख है. इसके बाद तेंदूपत्ता तोड़नेवाले परिवारों को चार हजार का प्रोत्साहन भत्ता देने की बात कांग्रेस नेता ने की. साथ ही सरकार बनते ही किसानों का फिस से कर्जा माफ करने का वादा कांग्रेस की ओर से किया गया है.
दौरे के दूसरे दिन राहुल गांधी सुबह के समय नवा रायपुर के धान के खेत में पहुंचे, यहां छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सब बड़े नेता उनके साथ थे. किसानो के साथ धान काटा. गमछा सिर में बांधकर. खेत के किनारे बैठ कर किसानों से वार्ता की. इसी दौरान सीएम भूपेश बघेल ने राहुल गांधी ने कहा कि सर, आप घोषणा कर दीजिये, किसानों को हर साल 10 हजार का प्रोत्साहन भत्ता दिया जाएगा.
राहुल गांधी राजनांदगांव की सभा में पहुंचे, वहां अपनी बातें कहीं. इसके बाद कवर्धा पहुंचे, वहां भाषण दिया, इसी दौरान किसानों को दस हजार देने का वादा कर दिया. इसके बाद भूपेश बघेल राहुल गांधी के पास आए और कहा कि इलाज का पैसा पांच से बढ़ाकर दस लाख करने का वादा भी कर दीजिये. राहुल गांधी ने बिना देर किये, ये भी वादा छत्तीसगढ़ की जनता से कर दिया.
केंद्र की आयुष्मान योजना में पांच लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है, लेकिन जब कांग्रेस की सरकार बनेगी, तो 10 लाख का इलाज राज्य के लोगों को मुफ्त मिलेगा. कांग्रेस की ओर से इसके अलावा धान की कीमत 2640 से बढ़ाकर तीन हजार करने का वादा भी किसानों से किया गया है. पार्टी के नेता अब ये भी कहने लगे हैं कि भाजपा के शासनकाल में जो दो साल का बोनस धान किसानों को नहीं मिला, वो भी केंद्र सरकार से लेकर दिलवाने का काम करेंगे.
कांग्रेस की ओर से जो वादे किये गये हैं, अगर उनके बारे में बात करें, तो इनको पूरा करने में हजारों करोड़ रुपये लगेंगे, जो राज्य की जनता के टैक्स के पैसे होंगे, जिनसे उनकी मूलभूत सुविधाओं को पूरा किया जाता, लेकिन जब इस तरह की घोषणाएं होंगी, जिन्हें पूरा करना किसी सरकार की मजबूरी होगी, तो सरकार को किसी न किसी मद में कटौती करनी होगी.
पिछले पांच सालों की बात करें, तो राज्य के ग्रामीण इलाकों में काम और किसानों को अनुदान के तौर पर राशि मिली है, लेकिन शहरों की बात करें, तो वहां के इंफ्रास्ट्रचर पर जिनता काम होना चाहिये, वो नहीं हुआ है. राज्य सरकार के अधीन आनेवाली सड़कों का हाल ज्यादा अच्छा नहीं है. सरकारी अस्पतालों को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता का मुद्दा उठता रहा है.
राज्य सरकार की ओर से दवाओं की उपलब्धता का प्रचार किया जाता है. गांवों में इसको लेकर दिवाल लेखन से लेकर अन्य माध्यमों से प्रचार किया जाता है, लेकिन ग्रामीणों को अस्पतालों में वो दवाइयां नहीं मिलती हैं, जिनकी लिस्ट गांवों और चौक-चौराहों पर लगी हैं.