PK Targeted CM Nitish: जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार की अपनी प्राथमिकता बदल गई है। पहले वह बिहार को सुधारने में लगे थे और अब वह कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं।
प्रशांत किशोर ने कहाकि चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक को भी अगर जोड़ देंगे, तो सरकारी नौकरियों में 2 प्रतिशत से भी कम लोग ही हैं। अब नीतीश कुमार की अपनी प्राथमिकता बदल गई हैं। पहले वह बिहार को सुधारने में लगे थे और अब वह कुर्सी बचाने में लगे हैं।
गौर करें तो शिक्षकों की भर्ती मामले में अपनी-अपनी वाहवाही लूटने में लगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जन सुराज के सर्वेसर्वा प्रशांत किशोर ने पोल खोलकर रख दी।
उन्होंने कहा कि चपरासी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक को भी अगर आप जोड़ देंगे, तो 2 प्रतिशत से भी कम लोग सरकारी नौकरियों में हैं।
साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार की अपनी प्राथमिकता बदल गई है। पहले वह बिहार को सुधारने में लगे थे और अब वह कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं।
दरअसल चुनावी प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव अपने 17 महीनों में की गई नियुक्तियों की खूब चर्चा किये। उन्होंने हर चुनावी मंच से यह कहा कि जो काम एनडीए ने 10 सालों में नहीं किया उसे हमने 17 महीनों में नौकरी बांटकर कर दी।
वहीं नीतीश कुमार इसके जवाब में यह कहते रहे कि सारा काम हमने किया, वह लोग तो बस यूं ही कुछ कुछ कहते रहता है।
इसके जवाब में अब जन सुराज के प्रशांत किशोर ने कहा है कि जो सिस्टम है, जिसे आप तंत्र कहते हैं, सरकारी नौकरियों में पूरे बिहार के 1.57 प्रतिशत लोग ही हैं।
पीके ने जोर देकर कहा कि चपरासी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक को भी अगर आप जोड़ देंगे, तो 2 प्रतिशत से भी कम लोग सरकारी नौकरियों में हैं। पूरी जो व्यवस्था है, वो सिर्फ 2 प्रतिशत सरकारी नौकरी करने वाले लोगों की वजह से नहीं है। दिक्कत ये है कि जो जनप्रतिनिधि हैं, लोकतंत्र में मालिक वो हैं, जो अफसरों को चुनकर बैठाते हैं। अफसर वैसे ही काम करता है, जैसा लोग कराना चाहते हैं।
प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि यही नीतीश कुमार हैं, 2005 से 2010 में यही तंत्र था, यही अफसर थे और इन्हीं की वजह से कई क्षेत्रों में सुधार दिखा। अब वो सुधार नहीं दिख रहा है, बदहाली दिख रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि नीतीश कुमार की अपनी प्राथमिकता बदल गई है, पहले वो बिहार को सुधारने में लगे थे और अब वह कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं, तो अफसर क्या करेंगे।