One nation One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन के कैबिनेट में पास होने के बाद नाराज़ विपक्ष को कैबिनेट मंत्री राजनाथ, मेघवाल और रिजिजू मनाएंगे।
One Nation One Election Issue: विपक्ष के नेताओं का वन नेशन-वन इलेक्शन पर विरोध जारी है. इस बीच तीन केंद्रीय मंत्रियों को विपक्षी नेताओं से बातचीत का जिम्मा सौंपा गया है.
वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (18 सितंबर) को मंजूरी दे दी. वन नेशन-वन इलेक्शन पर विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है. इसे लेकर अब बड़ी खबर सामने आ रही है. केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से बातचीत के लिए तीन मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है.
मोदी कैबिनेट में शामिल केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू को विपक्षी दलों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. केंद्र सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन के मुद्दे पर सभी विपक्षी दलों का समर्थन पाने की कोशिश करेगी.
हर 15 साल में 10 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च
यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो चुनाव आयोग (ईसी) को नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें खरीदने के लिए हर 15 साल बाद लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.
चुनाव आयोग ने सरकार को सूचित किया है कि हर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का जीवन 15 साल होता है, इस तरह ‘एक देश एक चुनाव’ की स्थिति में एक ईवीएम का उपयोग तीन चुनावों के लिए ही किया जा सकेगा.
11.80 लाख मतदान केंद्रों की होगी ज़रूरत
चुनाव आयोग का अनुमान है कि लोकसभा चुनाव के लिए लगभग 11.80 लाख मतदान केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है. ईसीआई के सूत्रों ने कहा कि अगर विधानसभा चुनाव भी एक साथ होते हैं तो उस स्थिति में अधिक ईवीएम की आवश्यकता होगी.
सूत्रों ने कहा कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर ईवीएम के कम से कम दो सेट की आवश्यकता होगी. एक लोकसभा के लिए और दूसरा विधानसभा के लिए.
कितने दिन में तैयार हुई रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का 2 सितंबर, 2023 को गठन किया था. कमेटी के सदस्यों ने कई देशों की चुनाव व्यवस्था का अध्ययन करने के बाद 191 दिन में 18 हजार 626 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार की.