NITISH INDIA ALLIANCE: ममता बनर्जी और अखिलेश यादव के बाद नीतीश कुमार ने भी इंडिया गठबंधन की बैठक में नहीं शामिल होने का इरादा जाहिर किया है। हालाँकि लालू यादव और तेजस्वी इसमें शामिल होंगे।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से पहले ही इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं होने का इशारा कर दिया गया है। ऐसे में अगुवा भी भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार का इस बैठक में शामिल नहीं होना काफी चौंकाने वाला है।
पूरे विपक्ष को एकजुट कर इंडी गठबंधन (I.N.D.I.A.) बनाने में एकजुट की भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब इससे दूरी बनाते दिख रहे हैं। 6 दिसंबर को इंडी गठबंधन की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली में बुलाई है। तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद यह पहली बैठक है। इस पर सबकी नजर भी है। ऐसे में सूत्र बता रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार इस बैठक में शामिल नहीं होंगे।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से पहले ही बैठक में शामिल नहीं होने का इशारा कर दिया गया है। ऐसे में अगुवा भी भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार का इस बैठक में शामिल नहीं होना काफी चौंकाने वाला है।
इधर, जदयू की ओर से सीएम नीतीश कुमार के जाने या नहीं जाने के विषय पर अब तक बयान नहीं दिया गया है। हालांकि, जदयू के नेता का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार को डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी है। उन्हें वायरल बुखार हुआ था। इन दिनों उनकी तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए दिल्ली में होने वाली बैठक में शामिल नहीं हो रहे।
जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा इस बैठक शामिल होंगे। इधर, राजद की ओर से पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव शामिल होंगे।
बता दें कि 3 दिसंबर को कांग्रेस जब तीन राज्यों में चुनाव हार गई तो जदयू की प्रतिक्रिया सामने आई थी। जदयू के नेता और मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा थाा कि यह नतीजे बेहतर भी हो सकते थे। इसको इंडी गठबंधन (I.N.D.I.A.) से मत जोड़िये। इंडी गठबंधन चुनाव में कहीं नहीं था। सिर्फ कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही थी। यह इलाके कांग्रेस पार्टी के गढ़ माने जाते है। पिछले चुनाव में भी इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी। लिहाजा यह भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार है। इसका इंडी गठबंधन से कोई रिश्ता नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने घटक दलों से दूरी बना ली थी। अब यह तय हो गया है कि कांग्रेस पार्टी अपने बलबूते पर भाजपा को पराजित नहीं कर सकती है।