- 15 से 20 दिसंबर के बीच लग सकती है आचार संहिता
- राज्य के 14 नगर निगम और 184 नगर निकायों का चुनाव
- चुनाव के लिए तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप
- चुनाव के दावेदार भी तैयारी में जुटे, वोटर लिस्ट का इंतजार
रायपुर. राज्य के सभी 33 जिलों में निकाय चुनाव को लेकर हचलत तेज होती जा रही है, जो प्रत्याशी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. वो वोटरों को रिझाने में लगे हैं और प्रशासन की ओर से चुनाव की तैयारियां की जा रही हैं. कांग्रेस और बीजेपी की ओर से संगठन स्तर पर चुनाव की तैयारी चल रही है. राज्य के 14 नगर निगम से 13 अभी कांग्रेस के पास हैं. इसलिए इस चुनाव में कांग्रेस के सामने बडे चुनौती अपने गढ़ को बचाने की होगी. वहीं, बीजेपी की राज्य में सत्ता है और वो राज्य के ज्यादा से ज्यादा नगर निगमों पर कब्जा करना चाहेगी.
नगर निकाय के लिए वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन 11 दिसंबर को होगा, जिसके तीन से चार दिन बाद वार्डवार आरक्षण सूची जारी कर दी जाएगी. इसी में ये तय किया जाएगा, कौन वार्ड जनरल रहेगा और कौन से एसपी-एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित हैं. जिन वार्डों में 50 फीसदी या उससे ज्यादा ओबीसी की आबादी होगी, उन्हें ओबीसी के लिए आरक्षित किया जाएगा. ऐसे ही एससी-एसटी का आरक्षण भी तय किया जाएगा. आरक्षण का रोस्टर जारी होने के साथ प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. अभी बीजेपी और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़नेवाले प्रत्याशी आरक्षण रोस्टर का इंतजार कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के बाद से ईवीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं. कोर्ट तक में इस मामले को चैलेंज किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ईवीएम के मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी में है, लेकिन छत्तीसगढ़ के नगर निकाय चुनाव में ईवीएम के साथ बैलेट पेपर का भी इस्तेमाल होगा. 2019 में जब चुनाव हुए थे, तब बैलेट पेपर से चुनाव कराए गए थे, लेकिन इस बार नगर निकाय चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा. इस बार मेयर और अध्यक्षों का चुनाव सीधे वोटर करेंगे. साथ ही वार्ड पार्षद का चुनाव भी होगा. इसलिए एक वोटर को कई वोट देने होंगे. पहले केवल वार्ड पार्षद का चुनाव होता था, जो अध्यक्ष और मेयर का चुनाव करते थे, लेकिन इस बार मेयर और नगर निकाय के अध्यक्षों का चुनाव डायरेक्ट कर दिया गया है यानी अब जनता सीधे अपना मेयर और नगर निकाय का अध्यक्ष चुनेगी.
राज्य में 2004-05 से नगर निकाय के चुनाव शुरू हुए थे. पहले चुनाव में 10 नगर निगमों में से 8 पर बीजेपी की जीत हुई थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ दो जगह ही जीत पाई थी, वहीं, 2010 में जब नगर निकाय के चुनाव हुए तो कांग्रेस ने चार नगर निगमों पर कब्जा जमाया था, जबकि बीजेपी 6 में ही चुनाव जीत पाई थी. 2015 के चुनाव में नगर निगमों की संख्या 13 हो गई, जिसमें बीजेपी 6, कांग्रेस 5 और निर्दलीय प्रत्याशी दो जगह पर जीते थे. 2020 के चुनाव में 14 नगर निगमों का चुनाव हुआ, राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और सभी नगर निगमों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया था. या यूं कहें निकाय चुनाव में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत था, लेकिन बिलासपुर मेयर के बीजेपी में जाने से कांग्रेस के पास अब 13 नगर निगमों के मेयर रह गये हैं. इस बार के चुनाव में कांग्रेस के सामने किला बचाने की चुनौती होगी.
कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं औग निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठकें कर रहे हैं. वो जिला पदाधिकारियों खास कर जिला अध्यक्ष को निकाय चुनाव को लेकर टॉस्क दे रहे हैं. बदले हुई परिस्थिति में जब सीधे मेयर का चुनाव होगा, उसके बाद में भी पार्टी नेताओं को बता रहे हैं.