Mahua Moitra MP: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किया गया। 54 दिन बाद उनकी सांसदी चली गई। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि महुआ का आचरण अनैतिक है। प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव रखा, जिसे मंजूर कर लिया गया।
महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘किसी तरह की रकम या तोहफा लेने का कोई सबूत नहीं है। आचार समिति इस मामले की जांच की तह तक नहीं गई। मोदी सरकार को लगता है कि मुझे चुप कराकर वह अदाणी के मुद्दे से ध्यान भटका देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा।’
भाजपा सांसद अपराजिता सांरगी ने कहा, ‘हम सिद्धांतों की बात कर रहे हैं। सभी को बोलने का समय दिया। तब ये वॉक आउट कर गईं। असंवैधानिक शब्दों का इस्तेमाल किया।’ इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने आचार समिति की सिफारिशों पर महुआ मोइत्रा को सदन में बोलने से रोका।
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को लेकर जैसे ही लोकसभा में चर्चा हुई तो टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने अनुरोध किया कि महुआ मोइत्रा को सदन के समक्ष अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रस्ताव रखता हूं, मेरी पार्टी की प्रवक्ता खुद महुआ मोइत्रा होंगी, क्योंकि आरोप उनके खिलाफ है। अनर्गल आरोप लगाए गए हैं, चाहे यह सच हो या गलत, इन्हें उन्हें बोलने दीजिए।’
भाजपा सांसद हिना गावीत ने कहा कि इस मामले के सामने आने की वजह हमारे सांसदों की छवि खराब हुई है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर आचार समिति की रिपोर्ट कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी कहते हैं, ‘जैसा कि अधीर रंजन ने कहा अगर हमें इस रिपोर्ट का संज्ञान लेने और फिर सदन के समक्ष अपनी राय रखने के लिए 3-4 दिन का समय दिया गया होता तो आसमान नहीं टूट पड़ता, क्योंकि यह एक बहुत ही संवेदनशील मामले पर निर्णय लेने जा रहा है। क्या आचार समिति की प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मौलिक सिद्धांत को दरकिनार कर सकती है, जो दुनिया की हर न्याय प्रणाली का संगठनात्मक सिद्धांत है? अखबार में हमने जो पढ़ा, उसके अनुसार जिसे आरोपी बनाया गया है, वह अपना बयान पूरा नहीं दे पाई। यह किस तरह की प्रक्रिया है?’
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘हम शुद्ध अंत:करण, ईमानदारी से इन दायित्व को पूरा करें, ताकि हमारे व्यवहार से किसी को किसी प्रकार का कष्ट न हो, हमारे कार्य से किसी को संदेह न हो, हमारा आचरण ऐसा न हो जिससे सदन की उच्च मर्यादा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे। हम सभी का यह सामूहिक और सर्वोच्च दायित्व है। मैं समझता हूं कि हम सब यहां पर जिस बात पर विचार करने जा रहे हैं, वह हम सभी के लिए है। हम सहानुभूति, संवेदना के साथ उस पर विचार कर रहे हैं। हमारी कोशिश रहती है कि किसी को भी सदन से निलंबित न करूं या कार्रवाई न करूं। सभी को पर्याप्त और अवसर मिले, यह कोशिश रही। कुछ कठोर निर्णय भी करने पड़े तो सदन की मर्यादा के लिए करने पड़े। ऐसी परिस्थिति में हम सभी को इस सदन के गौरव, सम्मान, नैतिकता और अस्मिता को अक्षुण्ण रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।’
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आगे कहा कि जनता के बीच विश्वसनीयता बढ़ी है। जनता ने इसलिए चुनकर भेजा है ताकि हम उनके कल्याण, आकांक्षाओं और आशाओं को पूरा कर सकें। लेकिन लोकतंत्र की इस गौरवशाली यात्रा में समय-समय पर ऐसे अवसर भी आए हैं, जब हमने सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा और उच्च मापदंडों को बनाए रखने के लिए निर्णय भी किए हैं। इसमें किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब सदस्यों को उचित निर्णय लेने पड़ते हैं। सदन उच्च मर्यादाओं से चलता है। यह सर्वोच्च पीठ है। 75 वर्ष की हमारी यात्रा में हमारे सदन और लोकतंत्र की उच्च मर्यादा रही है। पूरा देश उच्च परंपराओं के लिए हमारी ओर देखता है। इसी वजह से हमारे लोकतंत्र की पूरे विश्व में पहचान है। पिछले 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा में हमारा लोकतंत्र निरंतर सशक्त हुआ है।