Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव के चौथे चरण मेंं उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर 13 मई को मतदान होने जा रहै। ऐसे में वहाँ के सूरते हाल पर एक नज़र दौड़ाते हैं।
हर चाल पर शह और मात के दांव चले जा रहे हैं। भाजपा के लिए लड़ाई ज्यादा बड़ी है, क्योंकि पिछले चुनाव में इस चरण की सभी लोकसभा सीटों पर दमदार जीत हासिल की थी।
Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में यूपी की 13 संसदीय सीटों पर 13 मई को वोट पड़ेंगे। इसको लेकर पार्टियों और उम्मीदवारों की ओर से दावे और वायदे किए जा रहे हैं। यहां बीजेपी के लिए लड़ाई ज्यादा बड़ी है, क्योंकि पिछले चुनाव में इस चरण की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस राजनीतिक जमीन तलाशने की जद्दोदजहद कर रहे हैं।
कानपुर सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट काटकर रमेश अवस्थी को कैंडिडेट बनाया है। इंडी गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा चुनाव मैदान में हैं। वहीं, बसपा ने कुलदीप भदौरिया को टिकट देकर मुकाबला रोचक बनाया है। यहाँ भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के सामने भितरघात का सबसे बड़ा ख़तरा है। कांग्रेस ने बाहरी का मुद्दा अच्छे से भुनाया है। वहीं बसपा प्रत्याशी के बाद ठाकुर वोटर भी असमंजस में है। कानपुर सीट पर उद्योग, रोजगार, महंगाई और विकास के मुद्दे हैं।
अकबरपुर संसदीय सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष दिख रहा है। यहां भाजपा से मौजूदा सांसद देवेंद्र सिंह भोले तीसरी बार रण में हैं। पिछली बार कांग्रेस के टिकट से लड़ चुके राजाराम पाल इस बार सपा से इंडिया गठबंधन प्रत्याशी हैं। बसपा से राजेश द्विवेदी हैं। देवेंद्र सिंह भोले के पास जीत की हैट्रिक बनाने का अवसर है लेकिन पूर्व सांसद राजाराम पाल उन्हें कांटे की टक्कर दे रहे हैं। यहां 7 लाख ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। यहां के मुद्दे स्वास्थ्य सेवाएं, बेरोजगारी, और अन्ना मवेशी हैं।
उन्नाव सीट की बात करें तो विकास से ज्यादा जातीय मुद्दे हावी हैं। इस सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद साक्षी महाराज हैं। साक्षी के पास जीत की हैट्रिक बनाने का मौका है। इस सीट पर सपा से अन्नू टंडन मैदान में हैं। बीएसपी ने अशोक पांडेय पर दांव लगाया है। यहां लोध वोटर 4.25 लाख, जबकि 8 लाख के आसपास ओबीसी हैं। यहां बीजेपी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रही है। वहीं, सपा की अन्नू टंडन को एंटी इनकंबेंसी का सहारा है। वहीं, बसपा अपने कॉडर वोट के साथ और ब्राह्मणों के सहारे है।
मिश्रिख सीट- भाजपा ने मिश्रिख सीट से डॉ. अशोक कुमार रावत पर जीत की हैट्रिक पर भरोसा जताया है। सपा से चुनौती दे रहीं संगीता राजवंशी रिश्ते में भाजपा प्रत्याशी की सलहज हैं। बसपा से डॉ. बीआर अहिरवार मैदान में हैं। आरक्षित मिश्रिख सीट पर सवर्ण और पिछड़ी जातियों का असर है। इस सीट की 90 फीसदी ग्रामीण आबादी के साथ ऑनलाइन व्यापार, महंगाई, शैक्षिक संस्थानों का अभाव बड़ा मुद्दा है।
Lok Sabha Elections : हरदोई सीट पर बीजेपी को साख बचाने का संकट है। हरदोई सीट पर बीते 10 साल से भाजपा का कब्जा है। इस बार फिर से मौजूदा सांसद जयप्रकाश रावत को मैदान में उतारा है, जबकि सपा ने पूर्व सांसद उषा वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने भीमराव आंबेडकर को मैदान में उतारा है। मतदाता खामोश हैं। यहां अनुसूचित जाति के करीब 30.79 फीसदी और मुस्लिम मतदाता 13 फीसदी हैं। यहां की विकट समस्या अन्ना पशु, महंगाई , बेरोजगारी है।
सीतापुर सीट पर भाजपा ने तीसरी बार सांसद राजेश वर्मा पर भरोसा जताया है। वहीं गठबंधन से राजेश राठौर मैदान में हैं। मुस्लिम, यादव और नाराज कुर्मियों को अपने पक्ष में करने की कोिशश में हैं। बसपा ने भाजपा के पूर्व विधायक महेंद्र यादव को टिकट दिया है। उन्हें सजातीय मतदाताओं के साथ ही बसपा के कॉडर वोटर पर भी भरोसा है।
शहीदों की नगरी शाहजहांपुर में भाजपा सांसद अरुण कुमार सागर दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। सपा की ज्योत्सना गोंड उच्च शिक्षित युवा हैं। वह अपने कोर वोटरों को समेटने में जुटी हैं। दलित के साथ ही मुस्लिम और यादव समीकरण पर उनको भरोसा पूरा है। बसपा के दाेदराम वर्मा कॉडर में सक्रिय रहे। पहली बार चुनावी समर में उतरे हैं।
मुलायम परिवार का गढ़ रही इटावा सीट पर दूसरी बार मौजूदा सांसद रमाशंकर कठेरिया के सामने रिवायत तोड़ने की चुनौती है। सपा प्रत्याशी जितेंद्र दोहरे से उनकी टक्कर है। वह बसपा से आए हैं। बसपा ने हाथरस की पूर्व सांसद सारिका सिंह को टिकट दिया है। बघेल परिवार की बहू होने से उन्हें उस जाति के वोटबैंक का भरोसा है।
1967 में अस्तित्व में आई कन्नौज सीट पर पहले सांसद डाॅ. राम मनोहर लोहिया थे। सपा के लिए यहां समाजवाद का परचम फहराने और भाजपा के सामने जीत दोहराने की चुनौती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खुद मैदान में होने से चुनावी जंग दिलचस्प है। सांसद सुब्रत पाठक भाजपा के परंपरागत वोटबैंक, मोदी-योगी के नाम के सहारे हैं।
धौरहरा सीट से भाजपा ने यहां से तीसरी बार भी रेखा वर्मा को उतारा है। उनके समक्ष जातीय समीकरण साधने की चुनौती है। बसपा ने पुराने भाजपाई और सांसद रेखा वर्मा के करीबी श्याम किशोर अवस्थी को चुनाव में उतारा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन ने आनंद भदौरिया पर दांव लगाया है।
बहराइच सुरक्षित सीट से भाजपा ने सांसद अक्षयबर लाल गोंड के बेटे आनंद गोंड पर दांव लगाया है। यहां सीएम योगी आदित्य नाथ ताबड़तोड़ सभाएं भी कर चुके हैं। पिछली बार सपा-बसपा गठबंधन से शब्बीर अहमद मैदान में थे। मुस्लिम चेहरा होने के कारण तेजी से ध्रुवीकरण हुआ। इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन ने रमेश गौतम को उतार मुकाबला रोमांचक बनाया है। बसपा के बृजेश कुमार सोनकर को उतारा है।
आलू के लिए प्रसिद्ध फर्रुखाबाद में इस बार जाति समीकरण हावी हैं। यहां बीजेपी ने बसपा के मनोज अग्रवाल और सपा के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव को अपने पक्ष में कर लिया है। भाजपा ने दो बार के सांसद मुकेश राजपूत को फिर मौका दिया है। सपा ने डॉ. नवल किशोर शाक्य पर दांव लगाया है।
लखीमपुर खीरी से भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद अजय मिश्र टेनी पर ही भरोसा जताया है। टेनी के सामने इस बार सपा के उत्कर्ष वर्मा हैं। बसपा ने अंशय कालरा को उतारा है। टेनी के सामने जीत की चुनौती है, क्योंकि तिकुनिया कांड उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। उत्कर्ष महंगाई, बेरोजगारी, पेपर लीक और किसानों की मौत को लेकर मुखर हैं। बसपा को युवा वोटरों और किसानों का साथ मिलने का आसरा है।