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JHARKHAND ASSEMBLY SESSION: असेंबली सत्र के दौरान हंगामा करने वाले तीन बीजेपी एमएलए सस्पेंड

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JHARKHAND ASSEMBLY SESSION: झारखण्ड विधानसभा सत्र के दौरान पक्ष-विपक्ष का जमकर हंगामा हुआ। जिसके बाद स्पीकर ने भाजपा के तीन विधायकों को निलंबित कर दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह स्पीकर की तानाशाही है। 

JHARKHAND ASSEMBLY SESSION: जहां एक तरफ संसद की चूक मामले में विपक्ष के हंगामे के बीच बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया है। जिसमें अब तक 141 सांसदों को संसद के शीतकालीन सत्र की शेष कार्यवाही ने सस्पेंड किया गया है। 

वहीं दूसरी ओर, झारखण्ड विधानसभा में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान कार्यवाही के दौरान कुछ ऐसी ही तस्वीर दिखाई दी।

JHARKHAND ASSEMBLY SESSION: झारखण्ड विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार को शुरू होते ही हंगामा के भेंट चढ़ गई। तीन भाजपा विधायकों को कार्यवाही में व्यवधान डालने के आरोप में विधानसभा सदन से ही निलंबित कर दिया। स्पीकर की कार्रवाई पर विरोध दर्ज करवाते हुए भाजपा के अन्य विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।

JHARKHAND ASSEMBLY SESSION: सत्ता और विपक्षी विधायकों के हंगामे के बीच सदन दोपहर 12:30 बजे तक स्थगित किया गया था, लेकिन कार्यवाही फिर से शुरू होने पर भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण और विधायक भानु प्रताप साही अपनी मांगों के लिए वेल में जा पहुंचें। इस दौरान स्पीकर और विधायकों को जमकर बयानबाजी हुई। 

स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो इस दौरान यह कहते रहे कि विधायक सदन की कार्यवाही में व्यवधान डाल रहे हैं। महतो ने आदेश सुनाते हुए कहा कि भाजपा के तीन विधायकों को सदन की शेष कार्यवाही से निलंबति कर दिया गया है। स्पीकर के आदेश के बाद सदन में मौजूद मार्शलों ने विधायकों को सदन से बाहर निकाला। 

JHARKHAND ASSEMBLY SESSION: भाजपा विधायकों के निलंबन के बाद नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने स्पीकर की कार्रवाई को तानाशाही रैवय्या करार दिया। बाउरी ने कहा, हम राज्य के युवाओं से संबंधित मुद्दा उठा रहे थे। लेकिन, सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। बता दें विधायकों के विरोध के कारण विधानसभा मे प्रश्नकाल नहीं चल सका। 

वहीं सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी अपनी मांगों को लेकर विधानसभा में हंगामा किया। बाउरी ने कहा कि पंचायत सचिवालय के 18 हजार से अधिक कर्मी और दिव्यांग युवा रोजगार के लिए सड़कों पर हैं। उन्होंने कहा, रोजगार एक संवेदनशील मुद्दा है और मुख्यमंत्री को इस पर सदन में अपना बयान देना चाहिए।

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