JDU: जीतनराम मांझी ने कहाकि ललन की स्थिति RCP सिंह जैसी होगी। ललन और विजेंद्र यादव तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने चाहते थे। विजय चौधरी, अशोक चौधरी और संजय झा NDA से तालमेल की बात करते हैं। नीतीश जी से बदला लेने के लिए उनके साथ थे।
JDU: आज की परिस्थिति नई नही है। इसकी पटकथा 2-3 महीना पहले लिखी जा चुकी थी. एक धड़ा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दवाब डाल रहा था,कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना दिया जाए.
ललन बाबू और विजेंदर यादव यह दोनों इस बात के समर्थक थे कि तेजस्वी प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए. विजय चौधरी, अशोक चौधरी और संजय झा यह तीन नेता है जो कहीं ना कहीं एनडीए से तालमेल की बात करते रहे हैं.
ललन सिंह ने लिफाफा पहले ही दे दिया था इस्तीफा का, लेकिन पार्टी में विद्रोह ना हो इसलिए बैठक में यह सब बातें साफ हुईं.
JDU: आज जो परिदृश्य है इसमें ललन बाबू 12 और 11 विधायक की जमात लेकर कर गए थे. हम इतना जरूर कह सकते हैं अभी राजद का अपर हैंड है, अभी क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष उनके हैं. मेरी समझ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर कभी भी पलटी मार सकते हैं. राजनीति संभावना का खेल होता है और कुछ भी हो सकता है.
अगर भाजपा के लोग डिसाइड करते हैं कि नीतीश कुमार NDA में हमारे साथ रहेंगे तो हम नीतीश कुमार का विरोध नहीं करेंगे. राजनीति में सब कुछ संभव है राजनीति, वार और लव में सब चलता है.
हम नीतीश कुमार के साथ थे। एनडीए के साथ थे। उसे वक्त नीतीश कुमार पार्टी पलटी मार लिए. उसी वक्त हमने कसम ले लिया था कि नीतीश कुमार को नहीं छोड़ेंगे, इसलिए उनके साथ थे.
नीतीश जी कहते थे। अपनी पार्टी को जदयू में मर्ज करवा दीजिए, लेकिन हमारे किसी भी साथी का इरादा नही था कि हम लोग मर्ज करें.
धन्यवाद देते हैं हम लोग NDA के नेताओं को प्रधानमंत्री को और अमित शाह को, जिन्होंने तुरंत ही संवाद दिया और कहा कि आप हमारे गठबंधन में आ जाइए और हम NDA में चले गए.
और अपने देखा की जिस तरह NDA गठबंधन की बैठक हुई तो जो बैठने की व्यवस्था की गई तो प्रधानमंत्री के सामने कुर्सी दी गई.
भोजन में भी वही देखने को मिला। तमाम जगहों पर प्रधानमंत्री की कुर्सी के काफी नजदीक मेरी कुर्सी दी गई. मतलब है कि हम लोग पैसे के लोभी कभी नहीं रहे हैं.
हमलोग मान और मर्यादा के लोभी रहे हैं और जिस प्रकार NDA में हमें मान और मर्यादा दिया जाता है तो किसी परिस्थिति में हम लोग नरेंद्र मोदी को छोड़ने को तैयार नहीं है.
ललन बाबू अगर दिखावा के लिए रहेंगे तो जदयू में रहेंगे. नही तो उनकी हालत भी RCP सिंह जैसी होगी. जैसे RCP सिंह बाहर हुए थे वैसे ललन बाबू भी बाहर हो जाएंगे.