Jammu Kashmir Prez Rule: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा कर दी है, जिससे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह निर्णय हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद लिया गया है, जिनमें 10 साल बाद राज्य में चुनाव कराए गए थे।
राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि जम्मू-कश्मीर पर 31 अक्टूबर, 2019 से लागू राष्ट्रपति शासन के आदेश को तुरंत प्रभाव से समाप्त किया जा रहा है। यह आदेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 के तहत जारी किया गया था। अब नए नियम मुख्यमंत्री की नियुक्ति से पहले प्रभावी हो जाएंगे, जिससे राज्य के शासन में एक नया अध्याय शुरू होगा।
विधानसभा चुनाव और नई सरकार का गठन
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के नतीजों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने का मौका दिया है। NC ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के नेताओं ने उपराज्यपाल के पास विधायकों के समर्थन का पत्र सौंप दिया है, और उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित भी किया गया है।
नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया
राष्ट्रपति शासन हटने के साथ ही अब मुख्यमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। माना जा रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय पार्टी के भीतर विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा।
10 साल बाद चुनाव और नई उम्मीदें
जम्मू-कश्मीर में 10 साल के लंबे अंतराल के बाद विधानसभा चुनाव कराए गए थे। 2014 के चुनावों के बाद से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी रही, जिसके चलते राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। अब चुनावी नतीजों के बाद राज्य में स्थिरता और विकास की नई उम्मीदें जागी हैं।
गृह मंत्रालय का बयान
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 31 अक्टूबर, 2019 से लागू राष्ट्रपति शासन का आदेश अब रद्द हो गया है। इसके बाद प्रदेश में चुनी हुई सरकार के तहत नई प्रशासनिक व्यवस्था लागू होगी। केंद्र सरकार का यह कदम जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आगे की चुनौतियां
जम्मू-कश्मीर में नए मुख्यमंत्री और सरकार के गठन के बाद सबसे बड़ी चुनौती राज्य के विकास, शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की होगी। लंबे समय से चल रही राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा के मुद्दों के बीच नई सरकार के सामने कई चुनौतियां होंगी। सरकार को राज्य में निवेश, रोजगार, और सामान्य जीवन को पटरी पर लाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
उम्मीदें और भविष्य की दिशा
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के हटने के बाद अब नई सरकार से उम्मीदें बढ़ गई हैं। राज्य के नागरिक अब एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की ओर देख रहे हैं। नई सरकार को जनहित के कार्यों को प्राथमिकता देते हुए राज्य में शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
इस घोषणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय शुरू हो गया है, जो राज्य की भविष्य की दिशा तय करेगा।