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Israel Hamas War: यूएन में पास हुआ युद्ध विराम प्रस्ताव, भारत ने भी किया पक्ष में मतदान

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Israel Hamas War: इस्राइल-हमास संघर्ष के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की आपात बैठक में गाजा में तत्काल युद्धविराम के लिए पेश किया गया प्रस्ताव पारित हो गया है। 

यूएनजीए चीफ फ्रांसिस ने कहा कि गाजा में नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। फ्रांसिस ने गाजा में तत्काल युद्धविराम के लिए समर्थन जताया।

Israel Hamas War: इस्राइल-हमास संघर्ष के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की आपात बैठक में गाजा में तत्काल युद्धविराम के लिए पेश किया गया प्रस्ताव पारित हो गया है। भारत समेत 153 देशों ने गाजा में युद्धविराम के पक्ष में मतदान किया। 10 सदस्यों ने इसका विरोध किया, जबकि 23 सदस्य अनुपस्थित रहे। 

युद्ध विराम प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले देशों अमेरिका, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, इस्राइल, लाइबेरिया, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी और परागुआ शामिल हैं।

Israel Hamas War: इससे पहले, मिस्र के राजदूत अब्देल खालेक महमूद ने गाजा में युद्धविराम के लिए यूएन महासभा में प्रस्ताव पेश किया। मिस्र ने अपने प्रस्ताव में पिछले सप्ताह सुरक्षा परिषद में युद्धविराम के आह्वान पर अमेरिका के वीटो की निंदा की। महमूद ने कहा कि युद्धविराम के आह्वान में यह प्रस्ताव बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह मानवीय आधार पर युद्धविराम मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का गलत उपयोग किया गया था, जबकि इसे 100 से अधिक सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त था।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत ने यूएन महासभा द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। उन्होंने कहा कि महासभा में जिस स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, उसके कई आयाम हैं। सात अक्तूबर को इस्राइल पर आतंकवादी हमला हुआ और कई लोगों को बंधक बनाया गया, जो चिंता की बात है। 

उन्होंने आगे कहा कि गाजा में बहुत बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ है। बड़े पैमाने पर नागरिकों की जानें गई हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। सभी परिस्थितियों में अंतरराराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का मुद्दा है। साथ ही लंबे समय से चले आ रहे फलस्तीन मसले का एक शांतिपूर्ण और स्थायी दो-राज्य समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों के समाधान के लिए साझा प्रयास में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता का स्वागत करता है।

Israel Hamas War: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका युद्धविराम प्रस्ताव से सहमत नहीं है। हम सिर्फ गाजा में गंभीर मानव संकट और मानव नरसंहार से सहमत है। साथ ही उन्होंने सात अक्तूबर को हमास द्वारा किए गए क्रूर हमलों की निंदा के लिए एक संशोधन का प्रस्ताव रखा और अमेरिका इस बात की पुष्टि करने का समर्थन करते हैं कि दुनिया के सभी देशों की तरह इस्राइल को भी अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है। अमेरिकी दूत ने युद्ध के लिए सीधे तौर पर हमास को दोषी ठहराया। 

उन्होंने कहा कि हम सुरक्षा परिषद या महासभा के एकतरफा प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकते हैं, जो हम सभी के विचारों को नजरअंदाज करता है।

यूएन में इस्राइली राजदूत गिलाद अर्दान  ने कहा कि गाजा में युद्धविराम हमास के आतंकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि युद्ध रोकने से केवल हमास को फायदा होगा। आतंकवाद के शासन को जारी रखने और अपने शैतानी एजेंडे को साकार करने में कोई हमास की सहायता क्यों करना चाहेगा? 

Israel Hamas War: महमूद ने कहा कि इस्राइली सेना के फलस्तीनियों पर बर्बर हमले और नागरिकों की हत्या को रोकने के लिए युद्धविराम ही एकमात्र तरीका है। इस्राइल के हमले से असहनीय मानवीय पीड़ा हुई है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ है। यूएनजीए अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि गाजा में हिंसा रुकनी चाहिए। फ्रांसिस ने कहा कि गाजा में नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून दोनों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। गाजा में हजारों लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। फ्रांसिस ने गाजा में तत्काल युद्धविराम के लिए समर्थन जताया।

Israel Hamas War: यूएनजीए में चर्चा के दौरान दक्षिण अफ्रीका के राजदूत ने कहा कि इस्राइल जेनोसाइड कन्वेंशन संधि के खिलाफ काम कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू करने का आह्वान किया है। राजदूत ने कहा कि गाजा में पिछले छह हफ्तों की घटनाओं से पता चला है कि इस्राइल जेनोसाइड कन्वेंशन के संदर्भ में अपने दायित्व के विपरीत काम कर रहा है। 

संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश के रूप में और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की व्यवस्था के दर्दनाक अतीत के अनुभव के कारण सदस्य देशों के रूप में हम इस्राइल पर अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कार्रवाई करने का दबाव डालते हैं। 

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