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यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति ने किया ऐलान, मेहमानों और विद्वानों के आने से बदलती है स्थिति
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दो साल से लगातार हो रहा है अंतरराष्ट्रीय आयोजन, इस पर थीम था महिलाओं पर
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तीन दिवसीय आयोजन में 28 सौ से ज्यादा प्रतिनिधियों ने लिया भाग
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अमेरिका, आस्ट्रेलिया समेत विभिन्न देशों से पहुंचे थे प्रतिनिधि
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कांफ्रेंस के दौरान यूनिवर्सिटी में दिखा उत्साह का माहौल
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सबने की आयोजन की तारीफ, आगे और भी बड़ा आयोजन करने का संकल्प
सासाराम. बिहार के निजी विश्वविद्यालयों में सबसे अव्वल गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी की ओर से अब हर साल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किया जाएगा, जिसमें देश दुनिया की हस्तियां भाग लेंगी. सम्मेलन के दौरान हिंदी भाषा में ज्यादा बात हो, इस पर विशेष जोर दिया जाएगा. इसकी घोषणा यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने की.
2024 में हुए आयोजन का विषय था- बहुआयामी अनुसंधान में महिलाओं की भूमिका. महिलाओं की भूमिका को लेकर कई पेपर कार्यक्रम के दौरान देश और विदेश के प्रतिनिधियों की ओर से प्रस्तुत किये गये. यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों में टेक्निकल सेशन का आयोजन किया गया, जिसमें संबंधित विषयों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और अपनी बातों से लोगों को अवगत कराया. इस दौरान तमाम तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया, जिनके विजेताओं को सार्टिफिकेट और कैश प्राइज से सम्मानित किया गया.
सेमिनार के पहले दिन यानी 10 मार्च को प्री- कांफ्रेंस सेशन का आयोजन हुआ, जिसमें देश विशेष से आए प्रतिनिधियों से हिस्सा लिया. इसके बाद सोमवार यानी 11 मार्च को कांफ्रेंस का विधिवत उद्घाटन हुआ, जिसमें बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा मौजूद रहे.
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि भारत में महिलाओं को पूजने की परंपरा बहुत पुरानी है. इसका उल्लेख सबसे पुरान ऋग्वेद में मिलता है. साथ ही उन्होंने भारत की शिक्षा व्यवस्था और उसमें महिलाओं के योगदान का जिक्र किया और कहा कि नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे ऐतिहासिक शिक्षा के केंद्र भारत में थे, जिसमें महिला आचार्यों की संख्या अच्छी खासी थी. उन्होंने कहा कि जब अंग्रेज आए थे, तो उन्होंने देश में लिट्रेसी का सर्वे कराया था, तब पढ़े लिखे लोगों का प्रतिशत 90 नब्बे आया था, यो बात 1845 के आसपास की है, जबकि जब देश आजाद हुआ, तब देश का लिट्रेसी रेट काफी नीचे चला गया था, मात्र 20 फीसदी लोग ही शिक्षित थे. उन्होंने कहा कि इससे समझ सकते हैं कि भारत में शिक्षा की स्थिति किसने खराब की. किसने हमें पीछे ढकेला.
डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हम अपने देश को भारत माता कहते हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि हमारे यहां महिलाओं का क्या सम्मान है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां शिक्षा की देवी सरस्वती हैं. डिप्टी सीएम ने कहा कि भारत अब विश्व गुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. 19 वीं सदी में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत 21वीं सदी में विश्वगुरु बनेगा. विवेकानंद का नाम नरेंद्र था, तब उन्होंने भारत के विश्वगुरु बनने की भविष्यवाणी की थी. अब एक और नरेंद्र यानी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है. ये महज संयोग नहीं हो सकता है.
वहीं, मंगलवार यानी 12 मार्च को समापन समारोह में मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहास लेखन योजना के सचिव बालमुकुंद पांडेय थे, जिन्होंने कहा कि भारत का फिर से पुराना गौरव लौटाना है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विश्वगुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा अतीत बहुत स्वर्णिम था, लेकिन विदेशी आक्रांताओं ने इस पर कुठाराघात किया. उन्होंने साजिश करके भारत और यहां के लोगों को पीछे ढकेला. उन्होंने कहा कि हमारे शोध को विदेशों में ले जाकर उन्हीं का पेटेंट करवा रहे हैं.
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि जब किसी संस्था में कोई महापुरुष आता है, तो वो वहां कुछ कहे या नहीं, लेकिन उसकी आभा संस्थान में पॉजिटिव माहौल पैदा करती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस बार के सम्मेलन में देश और विदेशों से प्रतिनिधि आए हैं. मेरा आग्रह होगा कि आगे इससे भी बड़ा आयोजन करें और उसके लिए जो व्यवस्था होगी, मैं करूंगा. इस बार के आयोजन में अगर किसी तरह की कमी रह गयी है, तो उसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं. आगे ये कमी नहीं रहे, इसकी कोशिश होगी.
कुलाधिपति ने कहा कि हमारी कोशिश यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और अनुसंधान का माहौल बनाने की है. हम इसके लिए अपने यहां की फैलेक्टी को प्रेरित करते हैं. हमारी कोशिश होगी कि इस बार जिस तरह से महिलाओं की थीम पर आयोजन हुआ है. वैसे ही आनेवाले सालों में अन्य थीम पर आयोजन हो. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज हमारे पूर्जवों की सोच का नतीजा है, जिसको लेकर हमने काम किया और अभी इसको आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन अब हर साल होंगे. इसके लिए मैं आयोजक समिति के सदस्यों से आग्रह करता हूं. उन्होंने आयोजन में लगे सदस्यों की तारीफ की और समिति की अध्यक्ष मोनिका सिंह के योगदान की चर्चा की. किस तरह से पिछले लगभग एक महीने से लगातार आयोजन में समिति के सदस्य लगे हैं.
वहीं, देव मंगल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी शैल सिंह की भी चर्चा कुलाधिपति ने की और कहा कि उनका सहयोग भी आयोजन को सफल बनाने में रहा है. कार्यक्रम के दौरान मुख्य समारोह देव मंगल मेमोरियल सभागार में हुआ, जिसमें ट्रस्ट के सचिव गोविंद नारायण सिंह और नारायण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एमडी त्रिविक्रम नारायण सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे. दोनों ने आयोजन को लेकर प्रसन्नता जाहिर की और आगे भी ऐसे आयोजन के लिए आयोजन समिति के सदस्यों को मोटिवेट किया.
सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दौरान 10 औकर 11 मार्च की शाम गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कन्वोकेशन मैदान में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज समेत विभिन्न फैकेल्टी के छात्रों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इस दौरान पुणे से आए कलाकारों ने सिनेमा के सफर के बारे में प्रस्तुति दी, जिसकी सबने सराहना की.