मूक-बधिर गीता अब आत्मनिर्भर बनने की राह पर
Geeta: पाकिस्तान से भारत लौटी गीता अब भोपाल में 8वीं कक्षा का एग्ज़ाम दे रही है। उसने अपना पहला संस्कृत का पेपर दिया।
बता दें कि गीता का असली नाम राधा 20 साल पहले भटक कर पाकिस्तान पहुंच गई थी। लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में गीता पाकिस्तान रेंजर्स को अकेली मिली थी। 26 अक्तूबर, 2015 को पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के प्रयासों से मूक-बधिर गीता को भारत लाया गया था।
पाकिस्तान से भारत लौटी गीता एक बार फिर न्यूज़ में है। वह भोपाल के राजा भोज स्कूल में कक्षा 8वीं की परीक्षा देने के लिए मंगलवार को पहुंची। यहाँ पर उसने अपना पहला संस्कृत का पेपर दिया।
Geeta: 33 साल की मूक-बधिर गीता ने अनुवादक गजेंद्र प्रोहित के माध्यम से कहा, मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं और सरकारी नौकरी कर एक वरिष्ठ स्तर की अधिकारी बनने की इच्छा रखती हूं। मैंने सांकेतिक भाषा भी सीखी है। मैं जीवन में आगे बढ़ना चाहती हूं, ताकि लोगों की प्रेरणा बन सकूं।
अपने जीवन को संघर्षपूर्ण बताते हुए गीता ने कहा कि मेरी मां बहुत गरीब हैं और वह एक झोपड़ी में रहती हैं। इसलिए मेरा लक्ष्य एक घर बनाना है। इसके लिए मैंने पढ़ाई शुरू की और मैं लगातार पढ़ रही हूं।
पहला पेपर देने के बाद खुशी जाहिर करते हुए गीता ने कहा, मंगलवार को मेरा पहला पेपर था। मैं बहुत उत्साहित थी। मैंने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और मुझे विश्वास है कि मैं परीक्षा पास करूंगी।
गौर करें तो गीता का असली नाम राधा है। 20 साल पहले वह भटक कर पाकिस्तान पहुंच गई थी। पाकिस्तान रेंजर्स को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेली मिली थी।
26 अक्तूबर, 2015 को पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के प्रयासों से मूक-बधिर गीता को भारत लाया गया था। पाकिस्तान से भारत लौटने के बाद गीता 5 साल तक मध्य प्रदेश के इंदौर में रहीं। इस दौरान उनके माता-पिता को खोजा गया था। गीता अभी महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) जिले में रहती हैं।