Fulara Devi Shakti Peeth: फुलारा देवी शक्तिपीठ, अट्टहास, पश्चिम बंगाल
Fulara Devi Shakti Peeth: देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गयी है। साधारत: 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार अट्टहास-फुलारा पश्चिम बंगाल के बारे में जानकारी।
कैसे बने ये शक्तिपीठ :-
जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 खास महत्व है।
अट्टहास- फुल्लारा :-
पश्चिम बंगाल के लाभपुर (लाबपुर या लामपुर) स्टेशन से दो किलोमीटर दूर अट्टहास स्थान पर माता के अधरोष्ठ (नीचे के होठ) गिरे थे इसकी शक्ति या सति को फुल्लरा और भैरव या शिव को विश्वेश कहते हैं। यह शक्तिपीठ वर्धमान रेलवे स्टेशन से 95 किलोमीटर आगे कटवा-अहमदपुर रेलवे लाइन पर है।
नवरात्रि :-
शारदीय नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा को समर्पित है. नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के इन नौ दिनों तक घरों, मन्दिरों में विधिविधान से पूजन-अर्चन कर भक्त मां भगवती से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष कृपा का लाभ मिलता है.
हवन और पूजा पाठ करने से न केवल मानसिक शक्ति मिलती है, बल्कि इससे विचारों में भी शुद्धि आती है. हर साल नवरात्रि के आने के साथ एक नई ऊर्जा के आने की शुरुआत माना जाता है। नवरात्रि के बाद से एक के बाद एक त्यौहारों के आने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है.