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जमुई में राजद विधायक फतेह बहादुर के बिगड़े बोल
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रामचरितमानस से लेकर मश्रीराम पर उठाए सवाल
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भगवान राम को बताया काल्पनिक पात्र
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कहा: मंदिर बनाने वाले लोग त्रिशूल और तलवार की लड़ाई लड़ते हैं, हम कलम और किताब की लड़ाई लड़ते हैं
Fateh Bahadur: मंदिर को गुलामी का रास्ता बता कर विवादों से घिरे राजद विधायक फतेह बहादुर ने एक बार फिर भगवान श्रीराम और अयोध्या को लेकर विवादित बयान दिया है. जमुई में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे राजद विधायक फतेह बहादुर ने जिला परिसदन में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि अयोध्या का निर्माण बौद्ध भिक्षुओं के सर काटकर किया गया है जिसका गवाह सरयू नदी है.
उन्होंने कहा कि पहले इसका नाम साकेत हुआ करता था, लेकिन जब राजा वृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने कर दी, इस दौरान लाखों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई थी. तब सरयू नदी खून से लाल हो गई थी. इस दौरान ही उसका नाम बदलकर साकेत से अयोध्या कर दिया गया. इस दौरान लाखों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई.
सरयू नदी आज भी इसका गवाह है उन्होंने कहा कि लाखों बौद्ध भिक्षुओं के सर काटे गए थे, इसी कारण उसे नदी का नाम सरयू नदी भी पड़ा है. इतना ही नहीं उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर फिर से सवाल उठाते हुए कहा कि भगवान राम महज एक काल्पनिक पात्र हैं. उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं कहता बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अपने आदेश में यह कहा था.
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने मंदिर को गुलामी का रास्ता बताया है तब उन्होंने कहा कि जो लोग इसे मेरा कहा हुआ कथन समझ रहे हैं वह लोग इस देश में मनुवाद फैलाना चाहते हैं. यह बात सावित्री बाई फुले और डॉ. भीमराव अंबेडकर भी कह चुके हैं.
Fateh Bahadur: उन्होंने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है इसे जो पी लेगा वह दहाड़ेगा इसी बात को मैंने कहा है. पर कुछ लोग इसे अलग तरीके से बता रहे हैं. यह लोग मनुवाद फैलाना चाहते हैं और आम लोगों के हाथों में त्रिशूल और तलवार देना चाहते हैं. जबकि हम लोगों के हाथों में कलम और किताब देने की बात करते हैं.
राजद विधायक यही नहीं रुके उन्होंने यह तक कह दिया कि भगवान श्री राम से पहले गौतम बुद्ध इस धरती पर आए थे. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि रामायण के सर्ग संख्या 109, चौपाई संख्या 134 में भी एक जगह पर लिखा हुआ है तथागत बुद्ध और उनके अनुयायियों के साथ वही दंड मिलना चाहिए, को चोर को मिलता है. अब अगर वाल्मीकि रामायण में बुद्ध का उल्लेख किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि पहले गौतम बुद्ध आए थे.
Fateh Bahadur: रामायण या रामचरितमानस चौधरी से 15वीं शताब्दी में लिखी गई थी, जबकि बुद्ध का अस्तित्व उससे भी पुराना है. उन्होंने इस दौरान और भी कई विवादित बयान दिए. गौरतलब है कि राजद विधायक फतेह बहादुर लगातार अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में बने रहते हैं. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि मंदिर का रास्ता गुलामी का रास्ता है. जमुई में भी उन्होंने इस बात को दोहराया.
उन्होंने कहा कि अगर मंदिर बनने से ही सब कुछ हो जाता तो राजद के नेता के द्वारा जब रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया गया तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आपको पुलिस थाना में जाने की जरूरत नहीं थी, आप मंदिर में जाकर प्राथमिक की दर्ज करवा देते.
Fateh Bahadur: कोरोना काल में जब सभी अस्पताल में मरीजों को भर्ती किया जा रहा था उसे वक्त लोगों को मंदिरों में रखा जाना चाहिए था, जबकि उसे वक्त मंदिरों को बंद कर दिया गया था. आपने यह साबित कर दिया कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं है. लोग कहते हैं कि 22 जनवरी को भगवान राम में प्राण डाला जाएगा, तो इसका मतलब है कि इससे पहले भगवान राम प्राणहीन थे. भाजपा पर निशाना साधते हुए राजद विधायक ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों का काम लोगों के लिए विकास करना है, मंदिर बनवाना नहीं है. गौरतलब है कि राजद विधायक एक कार्यकर्ता संवाद सम्मेलन में हिस्सा लेने जमुई पहुंचे थे. जिसके बाद उन्होंने जमुई परिसदन भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह बातें कही.