Delhi Liquour Case: पीएमएलए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति ईडी के तीन ही समन को नजरअंदाज कर सकता है। ईडी संबंधित अदालत का रुख करके अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी कर सकती है।
दिल्ली शराब घोटाले में अभी क्या हो रहा है? केजरीवाल ईडी के सामने क्यों पेश नहीं हुए? एजेंसी के पास अब क्या विकल्प हैं? क्या पेश नहीं होने पर केजरीवाल की गिरफ्तारी भी हो सकती है?
दिल्ली शराब घोटाले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने 31 अक्तूबर को अरविंद केजरीवाल को समन भेजा था। समन के जरिए गुरुवार (2 नवंबर) को एजेंसी ने मामले में जारी जांच में शामिल होने के लिए केजरीवाल को पेश होने को कहा था। हालांकि, अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुए और पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ मध्य प्रदेश के सिंगरौली में रोड शो करने चले गए।
ईडी ने अपनी चार्जशीट में कई बार अरविंद केजरीवाल के नाम का जिक्र किया है। अदालत में दायर आरोप पत्र में ईडी ने बताया कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 आप के शीर्ष नेताओं द्वारा बनाई गई थी, ताकि लगातार अवैध धन कमा कर और उसे अपने पास लाया जा सके।
ईडी ने दावा किया कि यह नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए जानबूझकर कमियों के साथ बनाई गई थी। एजेंसी ने आरोप पत्र में आरोपियों के साथ सीएम के घर पर बैठक से लेकर वीडियो कॉल तक की घटनाओं का उल्लेख किया है।
ईडी के सामने केजरीवाल के पेश नहीं होने के कारण लोगों के मन में कई सवाल उठने लगा है कि एजेंसी अब क्या करेगी। दरअसल, धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) की धारा 50 ईडी को किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने की शक्ति देती है। PMLA की धारा 50 के तहत किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने और दस्तावेजों के प्रस्तुत करने और बयान दर्ज करने की आवश्यकता होती है।
पीएमएलए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति ईडी के तीन ही समन को नजरअंदाज कर सकता है और उसके बाद जांच एजेंसी गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी कर सकती है। उस स्थिति में, केजरीवाल को अदालत के समक्ष उपस्थित होना होगा। यदि केजरीवाल एनबीडब्ल्यू की अवहेलना करते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है और अदालत में पेश किया जा सकता है।
इस बीच, ईडी के पास यह भी अधिकार है कि वह केजरीवाल के आवास पर छापेमारी कर सकती है। अगर उनके खिलाफ आपत्तिजनक सबूत मिले तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है।