Delhi Assembly Election: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मांग की है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के साथ ही नवंबर में कराए जाने चाहिए।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दिल्ली में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग के बीच रविवार को विशेषज्ञों ने इस मसले पर कुछ जरूरी बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस मांग के पीछे की वजह बतानी पड़ सकती है।
हालांकि, चुनाव कब कराए जाएं, इस बारे में अंतिम निर्णय चुनाव आयोग ही लेगा। बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 23 फरवरी को समाप्त हो रहा है। ऐसे में चुनाव फरवरी की शुरुआत में होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने रविवार को मांग की कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के साथ ही नवंबर में कराए जाने चाहिए। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
संवैधानिक प्रावधानों के साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के जानकार विशेषज्ञों ने कहा कि दिल्ली सरकार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर जल्दी चुनाव कराने के कारण बताने पड़ सकते हैं, लेकिन निर्णय तो आयोग को ही लेना होगा।नाम नहीं छापने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने कहा- कानूनी नजरिए से देखें तो निर्वाचन आयोग के पास वैसे तो तौर पर महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए जाने का अधिकार है।
चूंकि पिछले तमाम मौकों पर दिल्ली में विधानसभा चुनाव अन्य राज्यों से अलग कराए गए हैं। फिर भी निर्वाचन आयोग के पास महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का कोई औचित्य भी होना चाहिए।
विशेषज्ञ ने कहा कि दिल्ली में जनवरी में वोटर लिस्ट अपडेट की जाएगी। इसके लिए 1 जनवरी को अर्हता तिथि माना जाएगा। इसके अपडेशन के बाद ही नए वोटर मतदात कर सकेंगे। ऐसे में निर्वाचन आयोग राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव कराना पसंद कर सकता है। हालांकि अंतिम निर्णय उसे ही लेना है।
दरअसल, केजरीवाल के बयान के बाद से जल्द चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं। अरविंद केजरीवाल ने रविवार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं मांग करता हूं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में भी नवंबर महीने में ही चुनाव कराए जाने चाहिए।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि वह दो दिन बाद इस्तीफा दे देंगे। इसके बाद दिल्ली में जल्द चुनाव कराने की मांग करेंगे। केजरीवाल ने तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठने की कसम खाई, जब तक लोग उन्हें ‘ईमानदारी का सर्टिफिकेट’ नहीं दे देते।”,