Congress Alliance Problem: महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम के ऐलान के साथ ही कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां उभर आई हैं। इन चुनावों में पार्टी को न सिर्फ गठबंधन दलों के साथ सामंजस्य बैठाना है, बल्कि सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर भी सुलह करनी होगी।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए चुनौती
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ मिलकर चुनाव लड़ना है, जिसे महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के रूप में जाना जाता है। हालांकि, कांग्रेस यहां ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, जहां उसने 17 सीटों में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस प्रदर्शन के आधार पर कांग्रेस विधानसभा की 288 सीटों में से 110-115 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी का रुख भी इस बार काफी सख्त है। शिवसेना उद्धव गुट के नेता उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं दिख रही है। कांग्रेस का मानना है कि वह गठबंधन में सबसे मजबूत दल है और इसलिए वह इस मुद्दे पर लचीला रुख नहीं अपना रही। दूसरी ओर, एनसीपी में शरद पवार और अजित पवार के गुटों में बंटवारा हुआ है, जिससे गठबंधन पर दबाव और बढ़ गया है।
झारखंड में कांग्रेस की भूमिका
झारखंड में कांग्रेस को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के जूनियर पार्टनर के रूप में चुनाव लड़ना होगा। पिछली बार JMM ने 81 में से 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 30 पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने 31 सीटों में से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। JMM का स्ट्राइक रेट कांग्रेस से बेहतर था, इसलिए इस बार भी JMM गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
इस बार गठबंधन में आरजेडी के साथ-साथ CPI (ML) भी शामिल होना चाहता है, जिसने पिछले चुनाव में 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 1 सीट जीती थी। ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और JMM के बीच खींचतान बढ़ सकती है।
इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा इम्तिहान
इन चुनावों को इंडिया गठबंधन के लिए भी बड़ा इम्तिहान माना जा रहा है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है, जिससे अब गठबंधन के अन्य दलों के सामने कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है। कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना होगा कि महाराष्ट्र और झारखंड में सीट शेयरिंग का फार्मूला सभी पार्टियों के बीच संतुलित हो।
साझा प्रचार अभियान की चुनौती
विपक्षी दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती साझा प्रचार अभियान चलाने की होगी। शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी, और कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी भी महाराष्ट्र में हिस्सेदारी चाहती है। इन दलों के अलग-अलग एजेंडे और प्राथमिकताएं होने के कारण एकजुटता बनाए रखना कांग्रेस के लिए मुश्किल साबित हो सकता है।
आलाकमान ने पार्टी के रणनीतिकारों और नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे हरियाणा जैसी गलतियां न दोहराएं और चुनावों में एकजुट होकर मुकाबला करें।