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Chhattisgarh Congress: छत्तीसगढ़ हारे क्यों? तार ढूंढ़ने में जुटी कांग्रेस; सैलजा, बघेल और बैज गिनाएंगे वज़ह!

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Chhattisgarh Congress: सत्ताधारी कांग्रेस छत्तीसगढ़ में कैसे मात खा गई। इसके तार ढूंढ़ने में पंजाधारी पार्टी जुट गई है। भूपेश बघेल- दीपक बैज और कुमारी सैलजा बताएंगी हार की वज़ह!

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी में संगठन स्तर के बदलाव लोकसभा चुनाव के बाद होंगे। देश में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं। 11 में से 9 सीटें बीजेपी के पास हैं, तो वहीं बस्तर और कोरबा लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है। फिलहाल कांग्रेस की कोशिश छत्तीसगढ़ में इन सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर ही है। 

छत्तीसगढ़ में मिली बड़ी हार के बाद दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक हो रही है। जानकारी के मुताबिक, बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी हार की समीक्षा करेंगे। इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा, भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और चरणदास महंत भी मौजूद हैं।

बैठक में प्रदेश के हालात को लेकर विधानसभा वार विधायकों के हारने की क्या वजह रही? डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव समेत मंत्रियों के हारने का क्या कारण रहा है, इन विषयों पर चर्चा होगी। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष के नाम पर भी चर्चा हो सकती है। 

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी में संगठन स्तर के बदलाव लोकसभा चुनाव के बाद होंगे। देश में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं। 11 में से 9 सीटें बीजेपी के पास हैं, तो वहीं बस्तर और कोरबा लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है। फिलहाल कांग्रेस की कोशिश छत्तीसगढ़ में इन सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर ही है। 

सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के लिए महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर जनता तक ले जाने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही बूथवार ट्रेनिंग सेशन भी शुरू किया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस मजबूत हो, इसके लिए अलग-अलग अभियान भी चलाए जाएंगे।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि फिलहाल जो हालात हैं, उसे देखते हुए संगठन में बदलाव की संभावना बेहद कम है। अब इसी नेतृत्व के साथ लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कांग्रेस पार्टी कर रही है। न तो प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज बदले जाएंगे और न ही प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा के बदले जाने की कोई संभावना है। क्योंकि चुनाव से ठीक पहले ही प्रदेश अध्यक्ष को बदला गया है।

कांग्रेस पार्टी के 37 विधायक चुनाव हार चुके हैं, लेकिन अगर बात की जाए वोट प्रतिशत की, तो वो केवल 0.86% ही घटा है। ऐसे में पार्टी के नेता नई रणनीति के साथ जनता के बीच जाना चाहते हैं, ताकि लोकसभा के लिहाज से वोट प्रतिशत बढ़ाया जा सके।विधानसभी चुनाव में कांग्रेस दो तिहाई सीटों पर हारी है। कांग्रेस पार्टी को सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को सरगुजा और रायपुर संभाग में लगा है। यहां सभी सीटें कांग्रेस के हाथ से निकल गईं।

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