Champai Soren BJP: झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन अब बीजेपी के हो गए हैं। तीन दिन पहले ही झामुमो से इस्तीफा दिया था।
चंपई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा देने के बाद आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सोरेन बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ यहां आयोजित एक समारोह में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
केंद्रीय मंत्री सिंह ने ‘टाइगर जिंदा है’ कहते हुए पार्टी में उनका स्वागत किया। इस मौके पर वरिष्ठ आदिवासी नेता (67) भावुक नजर आए। दरअसल, सोरेन झारखंड में ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से भी मशहूर हैं।
भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, जब दिल्ली और कोलकाता में झारखंड सरकार की ओर से मेरी जासूसी की गई, तो भाजपा में शामिल होने का मेरा संकल्प मजबूत हो गया।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा आदिवासियों की पहचान बचा सकती है और झारखंड के संथाल परगना में घुसपैठ रोक सकती है।
चंपई सोरेन ने यह आरोप लगाते हुए कि कांग्रेस ने आदिवासी पहचान को खतरे में डाल दिया है, उन्होंने कहा, मैं लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मैंने झामुमो को अपने खून-पसीने से सींचा, लेकिन मुझे अपमानित किया गया। मैं भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर हूं। मुझे अब दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का सदस्य होने पर गर्व है। मैं अपमान और जासूसी बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं था।
हाल ही में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा में खुद का अपमान होने की बात कह कर पार्टी से अलग राह तलाशने की बात कही थी। इसके बाद दिल्ली में चंपई की भाजपा नेतृत्व से मुलाकात की थी। इसके बाद बीते 28 अगस्त को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दिया था।
अपने इस्तीफे को एक्स पर पोस्ट करते हुए चंपई सोरेन ने लिखा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से त्याग पत्र दिया था। झारखंड के आदिवासियों, मूल वासियों, दलितों, पिछड़ों और आम लोगों के मुद्दों को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
चंपई ने 1974 में जमशेदपुर स्थित राम कृष्ण मिशन हाई स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी। जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही तो उस दौरान चंपई का नाम खूब चर्चा में रहा।
‘कोल्हान के टाइगर’ के नाम से मशहूर चंपई इस आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने में अहम भूमिका निभाते थे। उनकी सक्रियता में 1990 के दशक में जमशेदपुर में टाटा स्टील फैक्ट्री के गेट पर एक चर्चित आंदोलन शामिल है। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी बुलाने लगे।
चंपई संयुक्त बिहार में 1991 में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। के.सी. मार्डी के इस्तीफे के बाद चंपई ने बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था। फिर 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे।
वहीं 2005 में चंपई झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2009 में भी विधायक बने। उन्होंने अर्जुन मुंडा वाली सरकार में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वहीं जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन कैबिनेट मंत्री थे।
2014 में फिर झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए। वहीं 2019 में भी विधायक बने। इसके साथ ही वह हेमंत सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बन गए। 2019 में चंपई ने अपनी संपत्ति 2.55 करोड़ बताई थी।
31 जनवरी, 2024 को भूमि घोटाले के आरोपों के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से ऐन पहले उन्होंने पद से त्यागपत्र दिया। इसके बाद 2 फरवरी को सोरेन सरकार में परिवहन मंत्री रहे चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद मिल गया। वह हेमंत सोरेन के सबसे खास लोगों में माने जाते रहे हैं। चंपई ने शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया है।
इसी साल जुलाई झारखंड में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन हुआ। अदालत से जमानत मिलने के बाद सोरेन को 28 जून को जेल से रिहा कर दिया गया। चंपई सोरेन ने 3 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
अगले दिन यानी 4 जुलाई को हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए। नई सरकार में चंपई को कैबिनेट मंत्री के रूप में जल संसाधन, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिली।