Bihar Weather: बिहार में बुधवार से गुरुवार शाम तक लू के कारण मरने वालों की संख्या 73 पहुंच गई। मौतें लू से हो रही हैं, लेकिन प्रशासन इसकी पुष्टि नहीं कर रहे। मगर ये हक़ीकत है कि लोग सड़क पर जान गवां रहे। हालांकि गुरुवार को रात ढलने पर बिहार के कई जिलों से बारिश की खबर आने से लोगों ने कुछ राहत की साँस ली है।
पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, बेगूसराय समेत कई जिलों में गुरुवार की रात या तो बारिश हुई या इसके कारण हवा में ठंडक आई; लेकिन इससे पहले बुधवार सुबह से गुरुवार शाम तक सड़क, बस स्टैंड, स्टेशन पर चलते-टहलते या मतदान की तैयारी कर रहे लोगों की मौतों की संख्या 73 पहुंच गई।
गुरुवार को औरंगाबाद में सर्वाधिक 15 मौतें हुईं। इसके बाद पटना में 11 मौतों की खबर सामने आयी। भोजपुर में पांच मतदानकर्मियों सहित 10 की मौत हुई, जबकि रोहतास में आठ, कैमूर में पांच, गया में चार, मुजफ्फरपुर में दो के अलावा बेगूसराय, जमुई, बरबीघा और सारण में एक-एक व्यक्ति की ऐसे ही चलते-फिरते मौत होने की जानकारी आई।
गुरुवार को हुई 59 मौतों और बुधवार को हुई 14 मौतों के साथ बिहार में भीषण गर्मी से मरने वालों की संख्या 73 हो गई है। चूंकि ज्यादातर लोगों का पोस्टमार्टम नहीं कराया जा रहा है, इसलिए प्रशासनिक तौर पर लू से मौत की पुष्टि नहीं की जा रही है।
बिहार में बुधवार को करीब साढ़े तीन सौ बच्चे और शिक्षक स्कूलों में लू के कारण बेहोश हुए तो राज्य सरकार ने शाम छह बजे जाकर घोषणा की कि गुरुवार से आठ जून तक स्कूल बंद रहेंगे।
गुरुवार को स्कूल खुले, बच्चों को लौटा दिया गया लेकिन शिक्षकों को दोपहर बाद डेढ़ बजे तक बैठाए रखा गया।
इधर, लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान को लेकर तैयारियों में जो लोग लगे थे- संकट उनपर भी रहा। रोहतास में मतदान ड्यूटी वाले दो शिक्षकों की मौत की खबर आई। भोजपुर में एकमुश्त पांच मतदानकर्मियों की मौत हो गई।
मतदान में लगे या सरकारी ड्यूटी के दौरान इस तरह जान गंवाने वालों को भी मुआवजा दिए जाते समय मौत की वजह का प्रमाण देना होगा, लेकिन हकीकत यह है कि दो दिनों के अंदर सड़क पर, बस स्टैंड, स्टेशन आदि में चलते-टहलते मरने वालों की न तो मौत की प्रशासनिक पुष्टि की जा रही है और न कोई अनुग्रह राशि दिए जाने की घोषणा हुई है।
बिहार में बुधवार को 14 मौतों के बावजूद गुरुवार को जो लोग सड़कों पर निकले, उनकी मौतों का पैटर्न देखकर डरना स्वाभाविक है। गुरुवार को पटना में जिन 11 लोगों की मौतें हुईं, उसका रूप डरा रहा है।
जेपी सेतु पर हाइवा चालक ने दम तोड़ दिया। दीघा में 65 साल की महिला ने देखते-देखते दुनिया छोड़ गई। बाढ़ स्टेशन पर उत्तर प्रदेश निवासी महिला की मौत हो गई। दानापुर जंक्शन पर दो की जान इसी तरह चली गई।
मोकामा स्टेशन पर अचेत हुआ युवक अस्पताल पहुंचने के कुछ ही देर बाद दुनिया छोड़ गया। घोसवरी में भी बाहर निकले बुजुर्ग की जान चली गई। मसौढ़ी में भी लोग लोग इसी तरह से असमय दुनिया छोड़ गए।
पटना के एम्स में राज्य बीमा निगम के एक कर्मचारी सुनील कुमार की मौत की पुष्टि की गई, जो पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में एक जून को होने वाले मतदान की ड्यूटी पर थे।
मतदान सामग्री लेकर पोलिंग पार्टी के साथ जाते समय उनकी तबीयत बिगड़ी और प्राइवेट अस्पताल में प्राथमिक चिकित्सा के बाद एम्स पहुंचने तक उनकी मौत हो गई। इन 10 के अलावा एक अज्ञात मौत की भी पटना में सूचना आयी।
गुरुवार की रात पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय समेत कई जिलों में बारिश या ठंडी हवा से राहत मिली, लेकिन शुक्रवार की सुबह फिर धूप के साथ हुई है। इसलिए, खतरा टला नहीं है।
मौसम विज्ञान केंद्र ने रात 10 बजे से एक बजे तक का अलर्ट दिया था और अब स्थिति पहले जैसी ही लगभग दिख रही है। शुक्रवार को सर्वाधिक 47.1 डिग्री तापमान बक्सर में दर्ज किया गया था।
औरंगाबाद में 46.1 डिग्री, डेहरी में 46 डिग्री, गया में 45.2 डिग्री, अरवल में 44.8 डिग्री और भोजपुर में अधिकतम तापमान 44.1 डिग्री दर्ज किया गया था।
पटना का अधिकतम तापमान 40.7 डिग्री रहा था। उधर, मानसून को लेकर मौसम विज्ञान विभाग ने जो भविष्यवाणी की है, उसके अनुसार यह नियत तारीख 15 जून से एक-दो दिन पहले भी पहुंच सकता है।