Bihar Municiple Corporation: बिहार में नगर निगम की संपत्ति के लीजधारकों को मालिकाना हक़ देने की तैयारी चल रही है।
नगर निगम की संपत्ति को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए अगामी सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव लाया जा सकता है। उक्त प्रस्ताव में कई संशोधन भी हो सकते हैं। इसके बाद निगम बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी जाएगी।
बिहार में उपयोग के लिए आवंटित संपत्ति को नगर निगम लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने जा रहा है। लीज प्रणाली के तहत भूखंडों और भवनों का आवंटन किया गया था। फ्री होल्ड होने से लीजधारक को संपत्ति का मूल मालिकाना हक मिल जाएगा। इसको लेकर नगर निगम प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
इसके बदले नगर निगम बाजार मूल्य पर 10 फीसदी एक कालिक परिवर्तन प्रभार शुल्क लेगा। वैसे लीजधारक जिन्होंने संपत्ति नगर निगम को बिना बताए बेच दी है, उनसे भी 2 फीसदी अतिरिक्त लाभांश शुल्क लेने की तैयारी है।
सूत्रों की मानें तो प्रभार और लाभांश शुल्क में बदलाव हो सकता है। नगर निगम की संपत्ति को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए अगामी सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव लाया जा सकता है। उक्त प्रस्ताव में कई संशोधन भी हो सकते हैं। इसके बाद निगम बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी जाएगी।
वर्तमान में निगम के अधीन उक्त संपत्ति राजेन्द्र नगर, कृष्णापुरी, पीआईटी कॉलोनी कंकड़बाग और बेऊर क्षेत्र में लीज पर भूखंड, भवन और फ्लैट आवंटित है।
वर्ष 1960-70 के दशक में पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार द्वारा उक्त संपत्तियों का आवंटन लीज पर किया गया था। पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार विघटित हो चुका है और वर्तमान में सभी संपत्ति नगर निगम की है।
एक हजार से अधिक है संपत्ति निगम क्षेत्र में 1000 से अधिक भूखंड, भवन और फ्लैट लीज पर आवंटित हैं। लगभग पूरा राजेन्द्र नगर, कृष्णापुरी का कुछ हिस्सा, पीआईटी कॉलोनी और बेऊर का क्षेत्र शामिल है। लीज की अवधि 66 वर्ष है।
निगम की संपत्ति को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने पर 400 करोड़ रुपये का लाभ का अनुमान है। लीज होल्ड से फ्री होल्ड होने के बाद मूल संपत्ति धारक बिल्डिंग बाइलॉज और पटना मास्टर प्लान के तहत उपयोग कर सकेंगे।
अधिकारिक तौर पर बेच-खरीद सकेंगे। भवन के स्वरूप में बदलाव कर सकेंगे।फ्री होल्ड करने पर क्यों सोच रहा निगमनगर निगम को ऐसी सूचनाएं मिली है कि कुछ आवंटियों द्वारा निगम को सूचित किए बिना लीज प्रणाली पर आवासीय उपयोग के लिए आवंटित भवनों, भूखंडों और फ्लैटों का विक्रय अन्य व्यक्तियों के साथ किया जा रहा है। वैसे अधिकांश खरीदारों द्वारा लीज की संपत्ति का पटना नगर निगम द्वारा नामांतरण (म्यूटेशन) का कार्य नहीं कराया गया है। और न ही खरीदारों द्वारा कोई सूचना नगर निगम को उपलब्ध कराई गई है।
इतना ही नहीं लीज धारकों द्वारा आवंटित आवासीय भूखंड, भवन का व्यवसायिक उपयोग भी धड़ल्ले से किया जा रहा है। कई भवन और भूखंडों पर रेस्टूरेंट, होटल, मार्केट आदि बन चुके हैं। ऐसे में नगर लीज प्रणाली के नियमों का उल्लंघन हो रहा है।”