- Advertisement -spot_img
HomeबिहारBihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे पर बैकफुट पर जा सकती...

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे पर बैकफुट पर जा सकती है नीतीश सरकार

- Advertisement -spot_img

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे सरकार के गले की फाँस बनती दिख रही है। इसको लेकर नीतीश सरकार बैकफुट पर है।

Bihar Land Survey 2024: बिहार में जमीन सर्वे को टरकाने पर विचार चल रहा है. ये भी हो सकता है इसे वापस ले लिया जाए। अंतिम निर्णय अब सीएम नीतीश कुमार को लेना है.

बिहार में 20 अगस्त से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Bihar Government Revenue and Land Reforms Department) की ओर से जमीन सर्वे का काम किया जा रहा है. प्रदेश के 45 हजार से ज्यादा गांवों में जमीन का सर्वे करना है.

सर्वे शुरू हो गया है, लेकिन लोगों को परेशानी भी हो रही है. इस बीच जमीन सर्वे को लेकर सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है कि इसे प्रदेश में कुछ महीनों के लिए टाला जा सकता है. इसको लेकर नीतीश सरकार (Nitish Government) बैकफुट पर जाती दिख रही है.

बिहार में जमीन सर्वे को टालने पर विचार किया जा रहा है. या हो सकता है इसे वापस लिया जा सकता है. बताया जा रहा है कि कुछ फीडबैक मिले हैं उसके आधार पर यह किया जा सकता है. क्योंकि लोगों को फिलहाल इस सर्वेक्षण और प्रक्रिया के कारण काफी मुश्किल हो रही है.

सरकार में शामिल प्रमुख घटक दल जेडीयू और बीजेपी के नेताओं का मानना है कि अगले साल (2025) होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जमीन सर्वे के चलते लाभ से ज्यादा नुकसान हो सकता है. यह सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है. हालांकि अंतिम निर्णय सीएम नीतीश कुमार को ही लेना है.

दरअसल राज्य सरकार ने जमीन से जुड़े विशेष सर्वेक्षण को इसलिए 20 अगस्त से शुरू किया था कि भूमि विवाद और हिंसा को प्रदेश में खत्म किया जा सके.

सूत्रों के अनुसार बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता या मंत्री हों या फिर जेडीयू के नेता-मंत्री हों, सभी ने नीतीश कुमार को इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद जनता को जो समस्या हो रही है उससे अवगत कराया है. एक तरह का आक्रोश भी है लोगों में जिसके बारे में बताया गया है. अब फैसला नीतीश कुमार को करना है. हालांकि अभी तक इस पर आधिकारिक रूप से कोई बयान सामने नहीं आया है.

आपको बता दें कि ये जो सर्वे चल रहा है इसे लोग सही तो मान रहे हैं, लेकिन इसको लेकर धरातल पर कई चीजों में कमियां पाई जा रही हैं. बिहार एक ऐसा राज्य है जहां पर जमीन के रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने के चलते कई बार कोई भी प्रोजेक्ट हो वह हमेशा लेट हो जाता है.

ऐसे में जमीन सर्वे के तहत कागजात को दुरुस्त किया जाना जरूरी था. जमीन विवाद में बिहार में ज्यादा हिंसा होती है, हत्याएं होती हैं, इसलिए यह शुरू किया गया था.

गौरतलब हो कि आंध्र प्रदेश में जो जगनमोहन रेड्डी की सरकार थी तो उसने भी चुनावी साल में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की मुहिम शुरू की थी. इसका काफी ज्यादा राजनीतिक खामियाजा सत्ता से बाहर जाकर उठाना पड़ा.

ऐसे में बिहार की एनडीए सरकार उस गलती को दोहराना नहीं चाहती है. ऐसे में अब बिहार में फैसला कब होगा और कैसे होगा यह सब कुछ नीतीश कुमार के ऊपर निर्भर करता है.

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -spot_img
Related News
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here