Bihar Floor Test: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का बहुमत परीक्षण है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी अब उनके साथ उप मुख्यमंत्री हैं। लेकिन, दोनों ही अपने ही सरकार के पक्ष में वोट नहीं कर सकेंगे।
बिहार में 14 दिन पहले बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार सोमवार दोपहर बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने उतरेगी। लेकिन, इस बहुमत परीक्षण में न तो सरकार के मुखिया, यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार के पक्ष में वोट कर सकेंगे और उन ही उनके उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी। दोनों बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान रहेंगे भी और बहुमत साबित करने में विधायकों को जुटाने में ताकत भी झोकेंगे, लेकिन खुद दोनों ही वोट नहीं कर सकेंगे। दोनों के पास इसका अधिकार नहीं है।
सरकार को बहुमत है या नहीं, इसका फैसला विधानसभा के सदस्यों की संख्या-बल से होता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, दोनों ही बिहार विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। मतलब, सीधे जनता से चुनकर नहीं आए हैं। दोनों बिहार विधान परिषद् के सदस्य हैं। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री होने के नाते दोनों विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान मौजूद तो रहेंगे, लेकिन विधायक (विधानसभा सदस्य) नहीं होने के कारण वोट नहीं डाल सकेंगे। बिहार विधानसभा में जदयू के 45 विधायक हैं, लेकिन विधान परिषद् सदस्य नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। इसी तरह, 78 विधायकों वाली भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधान परिषद् के सदस्य सम्राट चौधरी को सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत दी है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ सरकार चलाने का जनादेश हासिल किया था। बीच में उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ दिया था और राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस-वामदलों के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार चलाने के लिए कुर्सी पर थे। जब तक वह महागठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी पर रहे, विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष के रूप में सम्राट चौधरी उनपर हमलावर रहे। 28 जनवरी को सरकार बदलने के पहले उन्हें दिल्ली तलब किया गया था और हमला रोकने की सलाह दी गई थी। उसके बाद उनके तेवर ढीले हुए और फिर 28 जनवरी को नीतीश कुमार के डिप्टी बनते ही वह उनके साथ सहज-सामान्य हो गए। अब दोनों साथ हैं और सोमवार को सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान 122 के जादुई आंकड़े से अधिक अपने 128 समर्थक विधायकों की बिहार विधानसभा में ताकत दिखाने की तैयारी में हैं।