- Advertisement -spot_img
HomeबिहारBihar BJP President: सम्राट के बाद कौन; बिहार बीजेपी का कौन बनेगा...

Bihar BJP President: सम्राट के बाद कौन; बिहार बीजेपी का कौन बनेगा अध्यक्ष

- Advertisement -spot_img

Bihar BJP President: भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद् की बैठक 17-18 फरवरी को होने वाली है। बैठक बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों को जीतने पर विचार-विमर्श के लिए है। संभावना है कि बैठक के आगे-पीछे सम्राट चौधरी की जगह प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष घोषित हो जाएं।

भारतीय जनता पार्टी बहुत जल्दी पूरे फॉर्म में उतरने वाली है। 17-18 फरवरी को भाजपा की राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में बिहार के सभी 40 लोकसभा सीटों को लेकर माथापच्ची होगी। इस माथापच्ची में एक तरह से बिहार की पूरी भाजपा जुटेगी। इसमें पूरे 573 नेताओं को बुलाया गया है।

इस बैठक के आगे-पीछे एक अहम फैसला भी भाजपा को बिहार प्रदेश इकाई के लिए लेना है। सम्राट चौधरी अब बिहार के उप मुख्यमंत्री हैं, इसलिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की उनकी कुर्सी किसी दूसरे नेता को देने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सभी का ध्यान गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पर है।

बिहार में जाति आधारित जनगणना को पढ़ा-लिखा वर्ग गलत बताता रहा, लेकिन सभी राजनीतिक दल इस पर एकमत रहे। भाजपा ने सत्ता में रहते इसका अनुमोदन किया, हालांकि जब महागठबंधन सरकार के दौरान आंकड़े जारी हुए तो उस पर सवाल जरूर उठाया।

जातिगत जनगणना के पहले भी हालांकि बिहार में ज्यादातर बातें जाति आधारित ही होती थीं, लेकिन अब यह ज्यादा हो गया है। इसी जाति के आइने में झांक-झांक कर नेताओं को पद या अवसर मिल रहा है।

राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन भी इसी आधार पर हुआ। विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नंद किशोर यादव पुराने और अनुभवी चेहरा हैं, लेकिन अब जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की चर्चा शुरू हुई है तो यह साफ किया जा रहा है कि राज्यसभा के दोनों उम्मीदवारों और विधानसभा अध्यक्ष की जाति का कोटा पूरा हो गया है। मतलब, इससे अलग ही जाति का कोई प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा।

सरकार में सम्राट चौधरी उप मुख्यमंत्री बने हैं। कोइरी, यानी कुशवाहा हैं। जातीय जनगणना में 4.21 प्रतिशत आबादी के साथ कोइरी चौथे नंबर पर है। उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा भूमिहार जाति से हैं। जातीय जनगणना में भूमिहार 2.89 फीसदी के साथ आठवें नंबर पर हैं।

चंद्रवंशी (कहार जाति) से डॉ. प्रेम कुमार को मंत्रीपद मिल चुका है। राज्यसभा के लिए भाजपा प्रत्याशी डॉ. भीम सिंह भी इसी जाति से हैं। चंद्रवंशी समाज की आबादी 1.64 प्रतिशत है और यह जातीय जनगणना में 13वें नंबर पर हैं। राज्यसभा की दूसरी प्रत्याशी डॉ. धर्मशीला गुप्ता वैश्य समाज से हैं। वह वैश्य समाज के चेहरे सुशील कुमार मोदी की जगह राज्यसभा भेजी जा रही हैं।

वैश्य समाज में तेली-बनिया मिलाकर 5.12 प्रतिशत हैं। आबादी के हिसाब से यह 10वें-11वें नंबर पर हैं। इधर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव बन गए हैं। यह जाति बिहार में सर्वाधिक 14.26 प्रतिशत बताई गई है और सामने लालू प्रसाद यादव को देखते हुए इसका महत्व सबसे ज्यादा है भी।

अब टॉ 10 जातियों में 5.25 प्रतिशत रविदास, 5.31 फीसदी दुसाध, 3.67 प्रतिशत ब्राह्मण, 3.45 फीसदी राजपूत, 3.08 प्रतिशत मुसहर और 2.87 फीसदी कुर्मी हैं। इसके अलावा, महज 0.60 प्रतिशत बताई गई कायस्थ जाति की भी राजनीतिक सक्रियता है। अब, ऊपर से शुरू करें तो रविदास जाति की दावेदारी ज्यादा है।

इसमें जनक चमार चर्चित चेहरा हैं। मंत्री रह चुके हैं। विपक्ष में रहते हुए भी सक्रिय थे, अब भी अध्यक्ष या मंत्रीपद पर इनकी मजबूत दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद दुसाध जाति है, जिसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान और उनके बेटे गुरु प्रकाश पासवान, दोनों को दावेदार मानने में हर्ज नहीं है।

इसके अलावा, इस जाति से डॉ. योगेंद्र पासवान भी प्रमुख चेहरा हैं। उनके पास प्रदेश प्रवक्ता से लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, बिहार बाल श्रमिक आयोग आदि का भी अनुभव है। संकट यह है कि भाजपा ने जैसे सम्राट चौधरी (कोइरी-कुशवाहा) को प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो उपेंद्र कुशवाहा को दरकिनार करने का आरोप लगा था, उसी तरह अगर दुसाध जाति से किसी को यह कुर्सी मिलती है तो चिराग पासवान को काटने का प्रयास माना जाएगा। इस हिसाब से देखना होगा कि नीति क्या रहती है?

ब्राह्मणों की भागीदारी मंत्रिमंडल में रहेगी, लेकिन देखा जाए तो मंगल पांडेय का नाम हमेशा आगे रहता है। राजपूत में उस तरह के किसी नाम की चर्चा नहीं है। राधा मोहन सिंह काफी पहले अध्यक्ष रहकर केंद्रीय मंत्री और फिर संगठन की राष्ट्रीय इकाई में पदधारक रहने के बाद अब किनारे हैं। ऐसे में कोई नया राजपूत नाम सामने आ जाए तो आश्चर्य नहीं।

इसके बाद दलित समाज के चेहरों में अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अजीत कुमार चौधरी का नाम आगे किया जा सकता है। जहां तक कुर्मी का सवाल है तो इसपर भाजपा कुछ करेगी नहीं, क्योंकि सीएम नीतीश कुमार इस जाति से हैं। रही बात कायस्थों की तो केंद्रीय मंत्री रह चुके रविशंकर प्रसाद पर दांव खेलने की जगह पटना में बांकीपुर विधायक नितिन नवीन का नाम आगे आ सकता है।

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -spot_img
Related News
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here