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Bihar Assembly News: बिहार में अब माफियाओं की खैर नहीं, नीतीश सरकार ला रही है नया कानून

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Bihar Assembly News: बिहार की नीतीश सरकार ला रही है नया कानून। बिहार में अब माफियाओं की खैर नहीं रहेगी। उन्हें जेल के सलाखों के पीचे जाना होगा।

भूमि, बालू, शराब सहित अन्य आर्थिक अपराधों में संलिप्त माफियाओं, मानव तस्करी, देह-व्यापार, लड़कियों से छेड़खानी, दंगा फैलाने, सहित अन्य कांडों में शामिल आपराधिक गिरोहों पर शिकंजा कसेगा।

बिहार सरकार ने माफियाओं को नापने की तैयारी की है। भूमि, बालू, शराब सहित अन्य आर्थिक अपराधों में संलिप्त माफियाओं, मानव तस्करी, देह-व्यापार, लड़कियों से छेड़खानी, दंगा फैलाने, सोशल मीडिया के दुरुपयोग सहित अन्य कांडों में शामिल अपराधी या आपराधिक गिरोहों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। जिलाधिकारी अब इनपर सीधी कार्रवाई कर सकेंगे। उन्हें असीमित शक्ति सरकार देने जा रही है। इसका प्रावधान राज्य सरकार द्वारा बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक, 2024 में किया गया है।

गुरुवार को विधानमंडल से पारित होते ही राज्य में अपराध नियंत्रण का नया कानून राज्य में लागू हो जाएगा तथा बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1981 ( बिहार का अधिनियम संख्या-7, 1981 का अधिनियम संख्या-7) समाप्त हो जाएगा। नये वियेयक की प्रति बुधवार को विधानसभा में वितरित की गयी।

नये कानून में जिलाधिकारी को वारंट जारी करने, गिरफ्तार करने, जेल भेजने, बेल देने का अधिकार होगा।  उन्हें आपराधिक मामलों में शामिल तत्वों को छह माह तक जिला तथा राज्य से तड़ीपार करने का भी अधिकार होगा। आदेश लेकर ही तड़ीपार व्यक्ति वापस लौट सकेगा। हालांकि जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष अपील किया जा सकेगा। जिलाधिकारी को दंडात्मक कार्रवाई करने की सूचना राज्य सरकार को पांच दिनों के अंदर देनी होगी। वहीं, 12 दिनों के अंदर सरकार से अनुमति लेनी होगी।

जिलाधिकारी द्वारा जारी वारंट बिहार सहित पूरे देश में लागू होगा। जिलाधिकारी को तलाशी एवं जब्ती का भी अधिकार दिया गया है। नये कानून के तहत आदेश का उल्लंघन करने पर या संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के भी पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। उसे कार्यपालक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके बाद हिरासत में भी रखा जा सकता है। जो तीन माह से अधिक की हिरासत अवधि नहीं होगी। इसकी सूचना जिलाधिकारी को देनी होगी।

राज्य सरकार इस कानून के तहत सलाहकार बोर्ड का गठन करेगी। इसमें तीन व्यक्ति होंगे। इनमें उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश होंगे या जिन्हें उस रुप में नियुक्त होने की योग्यता प्राप्त हो। बोर्ड के सदस्यों में से एक को अध्यक्ष नियुक्ति किया जाएगा जो उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत न्यायाधीश होंगे। सलाहकार बोर्ड को सुनवाई का भी अधिकार दिया गया है। बोर्ड के सदस्यों के बहुमत की राय ही मान्य होगी। बोर्ड के समक्ष विधि व्यवसायी उपस्थित नहीं होंगे।

दो साल के अंदर दो आपराधिक मामलों में अगर पुलिस सक्षम न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करती है तो उसे असामाजिक तत्व की श्रेणी में माना जाएगा। जो भारतीय दंड संहिता की धारा-107 के तहत परिभाषित है। नये कानून के तहत जिलाधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं।

डीएम जारी वारंट से संबंधित व्यक्ति के फरार या छिपे होने की स्थिति में मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी को लिखित रिपोर्ट देंगे। वारंट को जिलाधिकारी के आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा। दंडाधिकारी डीएसपी या राजपत्रित पदाधिकारी की रिपोर्ट पर संज्ञान लेंगे।

राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का शहरीकरण, आर्थिक गतिविधियों का व्यापक विस्तार, विज्ञान एवं तकनीकी के साधनों का विकास, साइबर सुविधाओं तथा डिजिटल साधनों पर नागरिकों की निर्भरता में वृद्धि आदि के कारण अपराधियों द्वारा अपराध की शैली एवं अपराध की प्रकृति में काफी परिवर्तन एवं विस्तार हुआ है। इसका सीधा प्रभाव लोक व्यवस्था को बनाए रखने पर पड़ता है। अपराध में संलिप्त ऐसे असामाजिक तत्वों पर प्रभावी नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बन गयी है।

वर्तमान में लागू  बिहार अपराध  नियंत्रण अधिनियम, 1981 में असमाजिक तत्वों पर नियंत्रण हेतु वर्तमान परिस्थिति के अनुसार कई कानूनी प्रावधानों का वर्णन नहीं है। इसलिए उस कानून  के स्थान पर नये कानून को लागू करने की आवश्यकता है।

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