Baba Vishvanath Prasad: आज से विश्व प्रसिद्ध बाबा विश्वनाथ का प्रसाद बदल गया। यह प्रसादम पूरी तरह से शास्त्र सम्मत बनाया गया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में शनिवार से प्रसाद की बिक्री शुरू होगी। विजयदशमी के अवसर पर प्रसादम बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाएगा और फिर मंदिर परिसर में स्टॉल्स पर इसकी बिक्री की जाएगी। यह प्रसादम पूरी तरह से शास्त्र सम्मत होगा।
चावल के आटे और बेलपत्र से बन रहा प्रसाद
विद्वानों की एक टीम ने शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद प्रसादम तैयार किया है। यह चावल के आटे, चीनी और बेलपत्र के चूर्ण से बनाया गया है। खास बात यह है कि जो बेलपत्र बाबा विश्वनाथ को चढ़ाए जाते हैं, उन्हीं का चूर्ण बनाकर प्रसादम में मिलाया गया है। प्रसादम बनाने के नियम सख्ती से पालन किए गए हैं।
हिंदू कारीगर ही बनाएंगे प्रसाद
मंदिर प्रबंधन ने तय किया है कि प्रसादम केवल हिंदू कारीगरों द्वारा ही बनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं और नियमों के अनुसार ही प्रसादम का निर्माण किया जाएगा। प्रसादम बनाने से पहले कारीगरों के लिए स्नान करना अनिवार्य होगा। यह नियम ऐसे समय में लागू किया गया है, जब तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम की गुणवत्ता और उसमें मिलावट की जांच हो रही है।
दस महीने की तैयारी के बाद शुरू हुआ प्रसादम
श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने दस महीने पहले अपना प्रसादम बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद विद्वानों की टीम ने शास्त्र सम्मत प्रसादम बनाने की प्रक्रिया शुरू की। पुराणों का अध्ययन कर चावल के आटे से प्रसादम बनाने का फैसला लिया गया।
चावल और बेलपत्र का विशेष महत्व
विद्वानों के अनुसार, धान एक भारतीय फसल है और इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का उल्लेख है। भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग अर्पित किया जाता था। बेलपत्र का धार्मिक महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ाए गए बेलपत्र को इकट्ठा कर, साफ कर, उसका चूर्ण बनाया गया और इसे प्रसादम में मिलाया गया।
अमूल कंपनी को सौंपी गई प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी
बाबा विश्वनाथ के प्रसादम को बनाने की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को दी गई है। कंपनी ने नियमों और शर्तों के तहत दस दिन के प्रसादम का निर्माण कर लिया है। इस प्रसादम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्थाओं से मंजूरी भी मिल चुकी है।