ATAL BIHARI VAJPAYEE: अटल बिहारी वाजपेयी किसी परिचय के मोहताज़ नहीं। फिर भी विश्वेन्दु राय शर्मा ने उन्हें अपनी कविता में पिरोया है।
अटल परिचय
सर्वोच्च शिखर तक,
जीवन पथ पर, सत पथ पर
सतत सचल निश्छल
चंचल हर पल रह पाता है
अटल वही कहलाता है।
राजधर्म गहे, श्रमकर्म करे,
जनजीवन का जो मर्म सरे
रखकर तल-तर निजस्वार्थ,
देशार्थ कुचक्रों के वारों को
गिरिराज सम सह जाता है
अटल वही कहलाता है
रेत के समन्दरों में ऊर्जा के उच्छवा से
माँ भारती की शक्ति का दंभ जब लहराता है
दृढ़ निश्चय जिसका देख तब
फिर बुद्ध मुस्कुराता है
अटल वही कहलाता है।
शब्दों के मेल से भावों के खेल से
विचारों के विहार से ! विनीत मनुहार से !
नीति के परिहार से ! तथ्यपूर्ण परिहास से
पक्ष -प्रतिपक्ष के आत्म को झकझोर दे
रण में भट भारी मन से बिहारी हो
अटल वही कहलाता है।
- विश्वेन्दु राय शर्मा