Diwali 2024: काशी के विद्वानों ने दीवाली 2024 की तिथि को लेकर सभी अटकलों को समाप्त कर दिया है। विद्वत कर्मकांड परिषद के अनुसार, इस साल दीपावली का पर्व 31 अक्तूबर को ही मनाया जाएगा। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि पश्चिमी पंचांगों ने दीवाली की तिथि पर भ्रम पैदा किया है, लेकिन काशी के पंचांग और विद्वानों में कोई मतभेद नहीं है। पूरे देश में 31 अक्तूबर को धूमधाम से दीपोत्सव मनाया जाएगा।
**तिथि की गणना स्पष्ट**
आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि 31 अक्तूबर को अपराह्न 3:52 बजे अमावस्या शुरू होगी, जो 1 नवंबर की शाम 5:13 बजे तक रहेगी। इसके बाद प्रतिपदा का आरंभ हो जाएगा, जिसमें दीपावली पूजन का कोई विधान नहीं होता। इसलिए 31 अक्तूबर को ही अमावस्या की रात्रिव्यापिनी तिथि में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।
**धर्मशास्त्रों के अनुसार 31 अक्तूबर को है सही तिथि**
धर्मसिंधु और निर्णय सिंधु के अनुसार, जब रात्रिव्यापिनी अमावस्या होती है, तभी लक्ष्मी पूजन और काली पूजन का शुभ मुहूर्त बनता है। दीवाली हमेशा प्रदोष काल में मनाई जाती है, और 1 नवंबर को प्रदोषव्यापिनी अमावस्या नहीं है। इसलिए 31 अक्तूबर को दीवाली मनाना ही सही है।
**दीवाली के साथ अन्य तिथियां**
29 अक्तूबर को धनतेरस मनाई जाएगी, जबकि 30 अक्तूबर को हनुमान जन्मोत्सव और नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि 31 अक्तूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी, और काशी के सभी विद्वान इस तिथि पर एकमत हैं।
**पश्चिमी पंचांगों में हो रही है गलती**
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि पश्चिम के कुछ पंचांग और कैलेंडर में तिथि को बढ़ाकर 1 नवंबर बताया जा रहा है, जो कि ज्योतिष और धर्मशास्त्रों के अनुसार गलत है। काशी के सभी पंचांगों के अनुसार, दीवाली 31 अक्तूबर को ही मनाई जाएगी।
**प्रदोष काल का महत्व**
धर्मसिंधु के अनुसार, जब प्रदोष काल दो तिथियों में आता है, तो पूर्ण प्रदोष काल वाली तिथि पर पर्व मनाया जाता है। चूंकि 31 अक्तूबर को सूर्यास्त के साथ प्रदोष काल शुरू हो रहा है, इसलिए उसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। स्नान-दान और व्रत की अमावस्या 1 नवंबर को मानी जाएगी, लेकिन दीपावली का पर्व 31 अक्तूबर को ही रहेगा।