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Sachkhand Express: सचखंड एक्सप्रेस- ऐसी ट्रेन, जिसमें मिलता है मुफ्त खाना

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  • 29 सालों से लगातार चल रही है लंगर सेवा

  • अमृतसर से नांदेड़ साहिब के बीच चलती है ट्रेन

  • छह स्थानों पर रहती है लंगर की व्यवस्था

  • गुरुद्वारों की ओर से होती है व्यवस्था

  • यात्रियों को बर्तन अपने साथ लाने होते हैं

Sachkhand Express: क्या आप भारत की लंगर एक्सप्रेस के नाम से प्रसिद्ध ट्रेन के बारे में जानते हैं ? अगर नहीं, तो हम इसकी जानकारी आपको देते हैं. जी हां, आप ठीक सुन रहे हैं. भारत में एक ऐसी ट्रेन चलती हैं, जिसमें खाना मुफ्त मिलता है. चाहे आप एसी क्लास में सफर कर रहे हों या फिर जनरल में. सबको मुफ्त में खाना मिलता है. ये सिलसिला एक दो साल से नहीं, बल्कि 29 साल से लगातार चल रहा है.

इस ट्रेन का नाम है सचखंड एक्सप्रेस, जो चलती है अमृतसर से नांदेड के बीच. दो हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करती है ये ट्रेन. रास्ते में 39 स्टापेज हैं. इनमें से छह जगह पर लंगर मिलता है.

अमृतसर यानी सिखों के लिए सबसे पवित्र स्थल, जहां पर हरमंदिर साहिब, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है. वहीं, नांदेड़ साहिब, वो स्थान जहां सिखों के दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंह ने आखिरी सांस ली थी. यहां पर गुरुद्वारा है, जिसे सचखंड के नाम से जाना जाता है. नांदेड़ साहिब सिखों के पांच सबसे पवित्र स्थलों में से एक है.

सचखंड एक्सप्रेस की बात करें, तो ये इन्हीं दो सिखों से सबसे बड़े तीर्थस्थलों के बीच की यात्रा को सुगम बनाती है. 2081 किलोमीटर की दूरी पर दोनों स्थान हैं, इन्हें आपस में जोड़ती है.

सचखंड एक्सप्रेस के यात्रियों के लिए लंगर लगाया जाता है. हां, लंगर खाने के लिए यात्रियों को बर्तन अपने साथ लाना होता है. लंगर में कढ़ी-चावल, छोले-चावल, राजमा-चावल के साथ तमाम तरह के व्यंजन शामिल होते हैं. लंगर का मेनू रोज बदलता है.

इस लंगर का पूरा खर्च गु रुद्वारों की ओर से उठाया जाता है. उनकी ओर से दान आता है, उसी से लंगर चलाया जाता है. 29 साल में एक भी दिन अब तक ऐसा नहीं आया, जिस दिन यात्रियों को लंगर नहीं मिला हो.

सचखंड एक्सप्रेस की बात करें, तो इसे 1995 में शुरू किया गया था. पहले ये ट्रेन सप्ताह में एक दिन चलती थी. बाद में इसे दो दिन और फिर पांच दिन चालाया जाने लगा. 2007 से ये ट्रेन रोज चलती है यानी रोजाना सचखंड एक्सप्रेस का परिचालन हो रहा है.

शुरुआत में इस ट्रेन में लंगर की व्यवस्था एक सिख व्यापारी ने की थी, जो बाद में गुरुद्वारों की ओर से की जाने लगी, जो बदस्तूर जारी है.

ये ट्रेन अमृतसर से दिल्ली होते हुए महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब जाती है. वहीं, नांदेड़ साहिब से दिल्ली होते हुए वापस अमृतसर का सफर पूरा करती है.

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