Bangladeshi immigrants Jharkhand: केंद्र की मोदी सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं। इन बांग्लादेशियों ने साहेबगंज और पाकुड़ जिलों के जरिए अवैध तरीके से राज्य में प्रवेश किया है।
केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को झारखंड हाईकोर्ट को बताया कि राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रहे हैं। सरकार ने जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उसने जानकारी दी कि बांग्लादेशियों ने साहेबगंज और पाकुड़ जिलों के जरिए अवैध तरीके से राज्य में प्रवेश किया है।
हलफनामे में यह भी जिक्र किया गया कि आदिवासियों की जमीन को ‘दानपत्र’ के जरिए मुसलमानों को सौंपा गया है। इसमें कहा गया है कि आदिवासियों की जनसंख्या में महत्वपूर्ण कमी आई है, जिसकी वजह धर्मांतरण और कम जन्म दर है।
गृह मंत्रालय के अवर सचिव प्रताप सिहं रावत की ओर से दायर हलफनामे के मुताबिक, संथाल परगना से आदिवासियों का बाहर पलायन भी जनसंख्या में कमी का एक कारण है।
इसके अलावा, साहेबगंज और पाकुड़ में पिछले कुछ वर्षों में मदरसों की संख्या में वृद्धि हुई है। हलफनामे में कहा गया कि अवैध प्रवासी स्थानीय बोली बोलते हैं, जिससे उनके राज्य में घुसपैठ करना आसान हो गया है।
हलफनामे में असम में भी अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की मौजूदगी का भी जिक्र किया गया है। रावत ने कहा कि भारत और बांग्लादेश की 4096.7 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिससे घुसपैठ करना आसान हो जाता है।
अदालत संथाल परगना में आदिवासियों के धर्मांतरण पर सोमा ओरांव और बांग्लादेशी आव्रजन पर डैनियल डेनिश की ओर से दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
ओरांव ने अपनी याचिका में दावा किया है कि संथाल परगना में आदिवासियों को योजनाबद्ध तरीके से अन्य धर्मों में परिवर्तित किया जा रहा है।
वहीं, डैनिश ने दावा किया कि अवैध प्रवासियों ने जमीन खरीदना भी शुरू कर दिया है और झारखंड के निवासी होने के फर्जी दस्तावेज बनाए हैं।