Mining Royalty: खनन कंपनियों खनन रॉयल्टी वसूली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गदगद सीएम हेमंत सोरेन ने कहाकि यह हमारी बड़ी जीत है।
बता दें कि 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को केंद्र सरकार और खनन कंपनियों से एक अप्रैल 2005 से अब तक की बकाया खनन रॉयल्टी वसूलने की अनुमति दी है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है, न कि संसद में।
खनन रॉयल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह हमारी ऐतिहासिक और बड़ी जीत है। इस फैसले के बाद झारखंड को केंद्र सरकार से बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
दरअसल 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने खनिज समृद्ध राज्यों को केंद्र सरकार और खनन कंपनियों से एक अप्रैल 2005 से अब तक की बकाया खनन रॉयल्टी वसूलने की अनुमति दी है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है, न कि संसद में।
इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हुए हेमंत सोरेन ने एक्स पर पोस्ट किया कि हमारी मांग सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से सफल हो गई। अब झारखंड को केंद्र से उसका बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये मिलेगा। सरकार हर झारखंडी के बकाया और अधिकार को लेकर लगातार आवाज उठाती रही है।
उन्होंने कहा कि 2005 से खनिज रॉयल्टी का बकाया भुगतान किया जायेगा। यह भुगतान 12 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। इस पैसे का उपयोग जन कल्याण के लिए किया जाएगा और झारखंड के प्रत्येक निवासी को इसका पूरा लाभ मिलेगा।
खनन रॉयल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि 25 जुलाई के फैसले के संभावित प्रभाव के बारे में दलील खारिज की जाती है।
पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, अभय एस ओका, बीवी नागरत्ना, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, उज्ज्वल भुइयां, सतीश चंद्र शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि पिछले बकाये के भुगतान पर शर्तें होंगी।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस फैसले पर पीठ के आठ न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिन्होंने 25 जुलाई के फैसले को बहुमत से तय किया था, जिसमें राज्य को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार दिया गया था।
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति नागरत्ना बुधवार के फैसले पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी, क्योंकि उन्होंने 25 जुलाई के फैसले में असहमति जताई थी।