- Advertisement -spot_img
Homeराष्ट्रीयParliament Monsoon Session: संसद के मॉनसून सत्र में आज आर्थिक सर्वेक्षण होगा पेश,...

Parliament Monsoon Session: संसद के मॉनसून सत्र में आज आर्थिक सर्वेक्षण होगा पेश, वित्तमंत्री सीतारमण का बजट भाषण कल

- Advertisement -spot_img

Parliament Monsoon Session: संसद के मॉनसून सत्र में आज आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। वित्तमंत्री सीतारमण का बजट भाषण कल 23 जुलाई को होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लगातार सातवीं बार आम बजट पेश कर नया कीर्तिमान बनाएंगी। सत्र के सुचारू रूप से संचालन में विपक्ष से सहयोग के लिए सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। सत्र के दौरान सरकार की योजना वित्त विधेयक सहित छह विधेयक पारित कराने की है।

संसद का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार आम बजट पेश कर नया कीर्तिमान बनाएंगी।

सत्र के सुचारू रूप से संचालन में विपक्ष से सहयोग के लिए सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। सत्र के दौरान सरकार की योजना वित्त विधेयक सहित छह विधेयक पारित कराने की है।

सोमवार से 12 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र में जम्मू कश्मीर का भी बजट पेश किया जाएगा। लेकिन सबकी निगाहें आम बजट पर है। इसके जरिए सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सहयोगियों की अपेक्षाओं के साथ संतुलन बैठाने की होगी।

इसके अलावा सरकार के सामने अरसे से राहत का इंतजार रहे मध्य वर्ग की अपेक्षाओं को पूरा करने, उद्योग, कृषि सहित अन्य क्षेत्रों की ज़रूरतों का ध्यान रखने की भी चुनौती होगी।

मंगलवार को लगातार सातवीं बार आम बजट पेशकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इतिहास रचेंगी। वह लगातार छह बजट पेश करने के मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी। देसाई 1959 से 1964 तक वित्त मंत्री थे और लगातार छह बजट पेश किया था। इनमें से पांच पूर्ण और एक अंतरिम बजट शामिल था।

पिछले कुछ बजट की तरह ही 2024 का बजट भी पेपरलेस होगा। आम चुनाव की वजह से इस साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था।

सरकार की योजना सत्र के दौरान वित्त बजट के अलावा आपदा प्रबंधन ( संशोधन) विधेयक- 2024, बॉयलर विधेयक -2024, भारतीय वायुयान विधेयक- 2024, कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक -2024 और रबड़ (संवर्धन और विकास) विधेयक -2024 भी पारित करवाने की है। इसके अलावा कई अनुदान मांगें भी इसी सत्र में पारित कराए जाएंगे।

बजट सत्र में सहयोगियों के दबाव, अलग-अलग वर्ग की अपेक्षाओं, आर्थिक सुधार सहित कई सवालों के जवाब मिलेंगे। सरकार की सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी, जदयू अधिक से अधिक केंद्रीय मदद चाहते हैं।

जदयू बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा चाहता है। बजट के प्रावधानों से पता चलेगा कि इन मामलों में सरकार कितना झुकी। इसी तरह निवेश के लिए सरकार की रणनीति आर्थिक सुधार की रफ्तार में तेजी लाने की है। ऐसे में आम बजट से इस बात के संकेत मिलेंगे कि सरकार सुधार की राह में कितना साहस दिखा पाई।

तीसरा सबसे अहम अलग-अलग वर्गों की अपेक्षाओं को पूरा करना है। इनमें सरकार ने सबसे अधिक उम्मीद मध्य वर्ग ने लगाई है। कृषि, लघु-मध्यम उद्योग की भी सरकार से बड़ी अपेक्षा है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन अपेक्षाओं के साथ कैसे संतुलन बैठाती है।

मोदी सरकार को पिछले दो कार्यकाल की तुलना में नए कार्यकाल में आक्रामक विपक्ष का सामना करना पड़ेगा। संसद में एक ओर जहां दस साल बाद विपक्ष बेहद मजबूत स्थिति में है, वहीं तीसरे कार्यकाल में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही है।

कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी इंडिया ब्लॉक अग्निवीर योजना, मणिपुर हिंसा, नीट परीक्षा में अनियमितता, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में बढ़ोत्तरी, महंगाई-बेरोजगारी के सवाल पर बेहद आक्रामक है।

मानसून सत्र के दौरान सरकार माकपा सांसद वी शिवदासन के उस निजी सदस्य विधेयक पर विचार करने के लिए तैयार हो गई, जिसमें कहा गया है कि मुफ्त इंटरनेट प्रत्येक नागरिक का अधिकार होना चाहिए। ताकि देश में डिजिटल विभाजन को खत्म किया जा सके।

उच्च सदस्य में सत्र के दौरान 23 निजी सदस्य विधेयक पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं। माकपा सांसद ने मुफ्त इंटरनेट का अधिकार देने संबंधी विधेयक दिसंबर 2023 में राज्यसभा में पेश किया था। इसमें प्रस्ताव रखा गया है कि कोई भी नागरिक ऐसे किसी भी शुल्क या खर्च के लिए उत्तरदायी नहीं होगा जो उसे इंटरनेट सुविधाओं तक पहुंचने से रोकता हो।

राज्यसभा बुलेटिन के मुताबिक, दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा महासचिव को बताया है कि राष्ट्रपति ने शिवदासन के निजी विधेयक पर चर्चा की सिफारिश की है। सरकारी खर्च से जुड़े किसी विधेयक पर विचार करने के लिए संबंधित मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति की अनुमति लेना अनिवार्य होता है।

एक अन्य निजी सदस्य विधेयकों में प्रस्ताव रखा गया है कि न्यायाधीशों और चुनाव आयुक्तों जैसे सांविधानिक पदों पर बैठे लोगों के सेवानिवृत्ति के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होने पर रोक होनी चाहिए। यह विधेयक राजद सांसद एडी सिंह की तरफ से सूचीबद्ध कराया गया है।

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -spot_img
Related News
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here