Brij Bhushan Sharan Singh: यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट पर भाजपा अभी तक उम्मीदवार का एलान नहीं कर पाई है। सांसद बृजभूषण भाजपा के गले की हड्डी बन गए हैं। न पार्टी किनारा कर पा रही है और न ही साथ लेकर ही चल पा रही है।
भाजपा ने भले ही कैसरगंज से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन बृजभूषण ने गाड़ियों के काफिले और अघोषित रैलियों से दबाव का दांव जरूर चल दिया है। कुल मिलाकर बृजभूषण भाजपा की गले की हड्डी बनते जा रहे हैं। न पार्टी किनारा कर पा रही है और न ही साथ लेकर ही चल पा रही है।
चुनावी माहौल में नीति के साथ रणनीति भी चर्चा में है। खासकर कैसरगंज लोकसभा में। यहां पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का चरखा दांव भी चर्चा में है। भले ही मुलायम सिंह अब नहीं रहे, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के रूप में राजनीति का दूसरा पहलवान चर्चा में है।
तभी तो पार्टी ने टिकट में देरी की तो खुद ही निकल गए मैदान में, लेकिन पहलवान के पुराने पन्नों को पलटें तो कई रोचक किस्से खुलकर सामने आते हैं। इनमें भाजपा से यारी तो रही ही, लेकिन समय-समय पर पार्टी से छत्तीस का आंकड़ा भी बना। चाहे घनश्याम शुक्ल की रहस्यमय मौत की बात हो या फिर ह्विप के उल्लंघन की, बृजभूषण की पार्टी नेतृत्व से ठनी भी खूब। लेकिन इस बार का नजारा कुछ और ही है।
भाजपा के वयोवृद्ध नेता प्रेम नरायण तिवारी बताते हैं कि बात जुलाई 2008 की है। लोकसभा में यूपीए सरकार विश्वास मत हासिल करने की कोशिश में थी। पूरा विपक्ष भारत-अमेरिका परमाणु संधि को लेकर यूपीए के खिलाफ खड़ा था। विश्वास मत पर मतदान के क्रम में दुर्लभ ‘दलबदल’ का उदाहरण देखने को मिला था। बृजभूषण ने पार्टी ह्विप का उल्लंघन करके यूपीए के पक्ष में मतदान कर दिया। इसके बाद उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया।
महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद करीब-करीब पूरा हरियाणा व पश्चिमी यूपी बृजभूषण के खिलाफ लामबंद हैं। इसमें भी खासकर जाट। हरियाणा की आबादी का लगभग 28% (मतदाताओं का एक चौथाई) जाट हैं। उत्तरी हरियाणा को छोड़कर राज्य में हर जगह जाटों का गढ़ है। ऐसे में चुनाव में यह नाराजगी भाजपा पर भारी भी पड़ सकती है। इस कारण पार्टी एक सीट के लिए पूरे हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश को प्रभावित नहीं होने देना चाहेगी।
Brij Bhushan Sharan Singh: पश्चिम यूपी की राजनीति को करीब से समझने वाले भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि जाट बहुल हरियाणा के लगभग हर गांव में पहलवान हैं। बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई न होने से समाज में भाजपा के खिलाफ कहीं न कहीं कुछ तो है। ऐसे में विपक्ष इस मुद्दे को ठीक से उठाता है तो यह स्थिति अगले साल हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को प्रभावित कर सकता है।
इसे तंज कहें या फिर राजनीतिक समीकरण, बृजभूषण तो भाजपा से टिकट को लेकर पहले ही आश्वस्त थे। लेकिन जवरी में गोंडा पहुंचे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जता दिया था कि इस बार पहलवान को टिकट मिलना आसान नहीं। हालांकि तब इसे बस बयानबाजी ही मानी जा रही थी। लेकिन अब के हालात बता रहे हैं कि अखिलेश को पूर्व में ही इसका आभास हो गया था। हालांकि तब उन्होंने साफ किया था कि भाजपा से जिनका टिकट कटा उन्हें सपा भी नहीं देगी। ऐसे में देखना अहम होगा कि वह अखिलेश की चुटकी थी या फिर आमंत्रण। वैसे मुलायम सिंह और बृजभूषण के संबंध किसी से छिपे नहीं हैं।