Patanjali Ads Case: रामदेव और बालकृष्ण ने SC से माफी मांगी। रामदेव और बालकृष्ण ने कहा कि वे दोबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे। अपने हलफनामे में रामदेव और बालकृष्ण ने कहा है कि वे दोबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे।
पिछले कुछ दिनों से पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण चर्चा में हैं। इस चर्चा भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े एक केस से संबधित हैं और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान रामदेव और उनके साथ बालकृष्ण को फटकार लगाई थी। आज बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है।
रामदेव और बालकृष्ण कंपनी के भ्रामक विज्ञापनों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य पर सवाल उठाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी है। बता दें कि कोर्ट में दायर दो अलग-अलग हलफनामों में रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए भी माफी मांगी है।
अपने हलफनाम में रामदेव और बालकृष्ण ने कहा है कि अब कोई प्रेस वार्ता या सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन किया जाएगा। दोनों ने यह भी आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस प्रकार के विज्ञापन जारी नहीं किए जाएंगे। कानून की महिमा और न्याय की महिमा को कायम रखने का वचन देते हैं।
गौरतलब है कि अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई बुधवार 10 अप्रैल को है। इस सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होंगे। दोनों ने ही अपने हलफनामे में विज्ञापन को लेकर कहा है कि मुझे इस चूक पर गहरा अफसोस है और मैं माननीय अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी। मैं इस माननीय न्यायालय के दिनांक 21.11.2023 के आदेश के पैरा 3 में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं।
ता दें कि इस केस को लेकर रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवादित बयान दिया था। इसको लेकर कोर्ट आक्रोश जाहिर किया था। उन्होंने कहा है कि मैं 22.11.2023 को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए अपनी बिना शर्त माफी प्रस्तुत करता हूं। इस चूक पर खेद व्यक्त करता हूं और आश्वासन देता हूं कि भविष्य में इसे दोबारा नहीं दोहराया जाएगा। गौरतलब है कि 2 अप्रैल को अदालत ने दोनों को उचित स्पष्टीकरण हलफनामा दायर करने का अंतिम अवसर दिया था, जिसमें कहा गया था कि पहले दायर की गई माफी अधूरी और महज दिखावा थी।
अब सवाल यह है कि आखिर ये केस क्या है, तो बता दें कि IMA ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की थी। बता दें कि कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। इसको लेकर रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी।