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राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर बोले- भारत हमेशा से ही रहा है विश्व में शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र
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उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा सृष्टि के निर्माण, ज्ञान और सुरक्षा में महिलाओं का योगदान अहम
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कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने गोवा की आज़ादी के प्रयास पर राज्यपाल अर्लेकर के योगदान को सराहा
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GNS विश्वविद्यालय में बहुआयामी अनुसंधान में महिलाओं की भूमिका विषय पर चल रहा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
Gopal Narayan Singh University: भारतवर्ष पूर्व से ही विश्व में शिक्षा का केंद्र रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय एवम तक्षशिला समेत कई प्राचीनतम शिक्षण केंद्र भारत के गौरव रहे हैं। विश्व की प्राचीन लिखित वेद ऋग्वेद में शिक्षक और शिक्षिका को आचार्य और आचार्या के रूप में उदृत किया गया है।
बहुआयामी अनुसंधान में महिलाओं की भूमिका विषय पर द्वितीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार में मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने सोमवार को कही।
उन्होंने कहा कि अपने देश में ब्रिटिश द्वारा 1896 में पहली बार जब सर्वे हुआ था उस समय संयुक्त बंगाल और बिहार में शैक्षिक दर 90 प्रतिशत रही थी जिसमें महिला और पुरुष दोनों की शैक्षिक दर समान थी। हमारी संस्कृति प्रारंभ से ही महिला उत्थान और उत्थान में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका से परिपूर्ण रही है।
उन्होंने गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय की ओर से महिलाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम की तारीफ करते हुए कहा कि आज महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों से कंधा मिलाकर काम कर रहीं हैं और देश दुनियां में परचम लहरा रही हैं।ऐसे में यह कार्यक्रम निश्चित तौर पर विकसित भारत के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगा।
महामहिम ने भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई मोदी द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को बेहद सफल करार दिया।
बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सृष्टि के निर्माण, सृष्टि को ज्ञान देने और सृष्टि की सुरक्षा में भी देवी( महिला) का ही योगदान है। हमारी संस्कृति और धर्म प्रारंभ काल से ही महिलाओं को देवी स्वरूपा के रूप में सम्मान दिया है।
स्वामी विवेकानंद ने ही कहा था कि 21 सदी में विश्व का नेतृत्व भारत करेगा। आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा कर रहे हैं। मुझे अतीत से सबक लेना चाहिए।किस गुलाम मानसिकता के कारण हम गुलाम हुए थे।नारी वंदन और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना ही सृष्टि में सम्मान दिलाता है। इस देश से ही विश्व का मार्गदर्शन पूर्व में भी हुआ था और भविष्य में भी होगा।
कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि अपने राज्यपाल महोदय ने गोवा को स्वतंत्र कराने की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई है। अपने राज्य में राज्यपाल बनते ही शिक्षा में गुणात्मक सुधार पर लगातार कार्य कर रहे हैं। संस्था में महापुरुषों के आगमन से निकलने वाली आभा से ही संस्था का विकास होता है। अपने संस्था द्वारा राज्य के शैक्षणिक व्यवस्था में परिवर्तन हेतु सहयोग कर रहा हूं। जब जब राष्ट्र पर संकट हुई गुरुओं ने अपने शिष्यों को खड़ा किया जो राष्ट्र के विकास में सहभागी बने। मेरी यह अपील है किअन्य देश से आए हुए प्रतिभागी भी हमारे देश में महिलाओं के प्रति सम्मान के भाव को अपने देश ले जाएं।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर महामहिम राज्यपाल, विशिष्ट अतिथि उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवम विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा.डी पी सिंह, कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह,विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.महेंद्र कुमार सिंह, सचिव गोविंद नारायण सिंह,प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह,आयोजन समिति अध्यक्ष मोनिका सिंह ने संयुक्त रूप से किया।
कुलाधिपति ने राज्यपाल का , प्रबंध निदेशक ने उप मुख्यमंत्री का और सचिव ने यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डीपी सिंह का पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र से स्वागत किया।
कार्यक्रम में कई देशों से आए प्रतिभागी के अलावा आयोजन समिति के पदाधिकारी गण, विभिन्न कार्यों में लगे समन्वयक गण ,सभी संकाय के प्राचार्य, अध्यक्ष एवं निदेशक तथा शिक्षक गण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के आरंभ में आयोजन समिति की अध्यक्ष मोनिका सिंह ने स्वागत भाषण के माध्यम से सभी अस्तित्व का स्वागत किया, जबकि अंत में धन्यवाद ज्ञापन सचिव गोविंद नारायण सिंह ने किया।