Bihar Assembly Floor Test: सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली 14 दिन पुरानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का बिहार विधानसभा में आज शक्ति परीक्षण है। यानी, नीतीश कुमार को दिखाना है कि उनके पास बहुमत है। फ्लोर टेस्ट से पहले जानें, क्या है विधानसभा का मौजूदा गणित।
28 जनवरी को सुबह लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन की सरकार खत्म कर शाम में भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार को करीब 24 साल बाद ऐसी अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। उस अग्निपरीक्षा में नीतीश कुमार फेल हो गए थे और महज सात दिन पुरानी उनकी सरकार वर्ष 2000 में गिर गई थी।
इस बार अग्निपरीक्षा 14 दिन बाद हो रही है। आज, यानी सोमवार 12 फरवरी को दोपहर तक साफ हो जाएगा कि नीतीश कुमार सरकार कायम रहेगी या गिर जाएगी। विधानसभा में अंतिम तौर पर विधायकों की मौजूदगी ही सारी हकीकत खोल देगी।
यह खबर बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले प्रकाशित हो रही है। सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली 14 दिन पुरानी राजग सरकार को आज बिहार विधानसभा में दिखाना है कि उनके पास बहुमत है। इसे ही फ्लोर टेस्ट कहा जाता है। फ्लोर टेस्ट में विधायक दो भाग में बंट जाएंगे- पक्ष के अलग और विपक्ष के अलग। इनकी संख्या गिनी जाएगी कि किधर ज्यादा हैं। अगर सत्ता पक्ष के विधायकों की संख्या बिहार विधानसभा की कुल क्षमता 243 के आधे यानी 122 या ज्यादा रही तो सरकार कायम रहेगी। अगर यह संख्या 122 से नीचे रही तो सरकार गिर जाएगी।
राजभवन में 28 जनवरी को सुबह 11 बजे जब सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, उस समय उनके पास भाजपा का समर्थन नहीं था। उनके पास उनकी पार्टी जनता दल यूनाईटेड के महज 45 विधायक थे। उनके इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने जदयू को सरकार बनाने के लिए अपने 78 विधायकों का समर्थन दिया। इसके साथ ही राजग के घटक हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों का भी समर्थन मिल गया। इकलौते निर्दलीय ने पहले की तरह नीतीश कुमार के प्रति भरोसा जताया। इस तरह नीतीश कुमार ने राजभवन में कुल 128 विधायकों का समर्थन दिखाया, जिसके आधार पर उन्हें नए मंत्रिमंडल के साथ शपथ दिलाई गई। अब शक्ति परीक्षण के दौरान देखना दिलचस्प होगा कि 14 दिनों से जिस खेला की चर्चा से राजनीतिक माहौल गरमाया रहा, वह होता है या सत्ता के पास बहुमत कायम रहता है।
राजभवन ने विपक्षी खेमे को सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया, क्योंकि उसके पास 114 विधायक ही बच रहे थे। सबसे बड़ी पार्टी राजद के पास अपने 79 विधायक थे। उसके बाद कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक। इस तरह कुल 114 हुए। इनके अलावा, असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी के इकलौते विधायक अलग हैं। ओवैसी के पांच विधायक 2020 के विधानसभा चुनाव में जीतकर आए थे, जिनमें से चार को राजद ने अपने साथ मिला लिया था। 28 जनवरी को हुए उलटफेर को ओवैसी ने राजद के किए कर्मों का फल बताया था। इसलिए, अब तक यह स्पष्ट है कि विपक्ष के साथ रहने वाले इस इकलौते विधायक का बहुमत परीक्षण के दौरान रुख क्या रहेगा?