PRATAYAKSHA FILM BIHAR: जयपुर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में 84 देशों से कुल 2971 फिल्में आई थीं, जिसमें बिहार में बनी फ़िल्म प्रत्यक्षा को ‘बेस्ट मूल स्क्रीनप्ले अवार्ड’ दिया गया। इस फिल्म ने बिहार राज्य को गौरवान्वित किया है।
जयपुर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में बिहार के बेगूसराय में बनी फिल्म प्रत्यक्षा को ‘बेस्ट मूल स्क्रीनप्ले अवार्ड’ दिया गया। 25 जनवरी को फीचर फिक्शन फुललेंथ फिल्म के कंपटीशन कैटेगरी में 12 देशों के 19 ज्यूरी ने कुल 101 फिल्मों का चयन किया था। उन 101 फिल्मों में से मात्र 15 फिल्मों को पुरस्कृत किया जिसकी विधिवत घोषणा जिफ के द्वारा की गई। उन्हीं 15 पुरस्कृत फिल्मों में, फिल्म प्रत्यक्षा को भी “बेस्ट मूल स्क्रीनप्ले अवार्ड” दिया गया। इस फिल्म के लेखक प्रद्योत कुमार को बेहतरीन कथा, पटकथा एवं संवाद के लिये पुरस्कृत किया गया है।
‘प्रत्यक्षा’ फ़िल्म के लेखक प्रद्योत कुमार का कहना है कि जयपुर अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में इस वर्ष 84 देशों से विभिन्न कैटेगरी में कुल 2971 फिल्में आई थीं, जिसमें बिहार में बनी फ़िल्म प्रत्यक्षा ने बहुत ही खास पुरस्कार लेकर बिहार राज्य को गौरवान्वित किया है। इस फिल्म से जुड़े सभी कलाकार से लेकर निर्माता निर्देशक तक (क्रियु) सभी बेगूसराय से ताल्लुक रखते हैं।
इस फ़िल्म के अभिनेता विवेक आनंद इस अवार्ड से काफी उत्साहित हैं। अपने भविष्य को लेकर काफी आशान्वित भी हैं। वहीं फ़िल्म की अभनेत्री श्वेता कश्यप भी काफी ख़ुश और आशान्वित हैं। अपने अभिनय कैरियर को लेकर दोनों का कहना है कि, हमारी मेहनत के अनुरूप इस फ़िल्म को अवार्ड मिला है और यह सिर्फ़ एक अवार्ड नहीं बल्कि आगे और बेहतर करने की नई ज़िम्मेदारी है, जिसके लिये हमलोग तैयार हैं।
‘प्रत्यक्षा’ फ़िल्म के लेखक प्रद्योत कुमार का कहना है कि यह एक प्रयोगात्मक फ़िल्म है। इस फ़िल्म को लिखने में लगभग 18 महीने का समय लगा था। मैंने इस फिल्म को लेकर काफी रिसर्च किया था। प्रद्योत कुमार का कहना है कि यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक खुद इस बात को महसूस करेंगे।
प्रद्योत कुमार ने बताया कि मैंने जब इस फिल्म की कहानी पहली बार निर्देशक पंकज कुमार को सुनाया था तो उन्होंने कहा था कि यह कुछ अलग हटकर है, जो काफी रिस्की भी है। इस फिल्म को हम अवश्य ही करेंगे क्योंकि अभिनय और अभिनेता के दृष्टिकोण से यह परफॉर्मेंस बेस्ड फिल्म है ,वैसे भी जीवन में नो रिस्क नो गेन वाली बात है। पंकज कुमार ने बिल्कुल सही बात कही थी, उन्होंने कल रिस्क लिया इसीलिए आज हमें इतनी बड़ी सफलता हासिल हुई है।
निर्देशक पंकज कुमार ने कहा कि,इस फिल्म को यहाँ तक लाने में हमें बहुत सारी कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसके लिए काफी धैर्य और संयम की आवश्यकता थी, उसे हमने बेशक रखा। इस फिल्म से जुड़े तमाम लोगों ने काफी मेहनत किया है, उन तमाम लोगों का मैं शुक्रगुजार हूं खास कर फ़िल्म के डीओपी संतोष मिठभावकर और एडिटर वरुण सिंह का। यह फ़िल्म अब बहुत ही जल्द दर्शकों के बीच होगी। हमें उम्मीद है कि इस फ़िल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिलेगा।
इसी वर्ष फ़िल्म प्रत्यक्षा को और भी नामचीन फ़िल्म फेस्टिवल्स में भेजना है और ढेरों अवार्ड लेकर बेगुसराय, बिहार और देश का नाम रौशन करना है। यह अवार्ड निश्चित रूप से बिहार और बेगूसराय ज़िला वासियों के लिये गौरव की बात है।अभी तक यह अवार्ड बिहार और बेगूसराय में किसी को नहीं मिला है।